लखनऊ: बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (Babri Masjid Action Committee) ने फैसला किया है कि अगर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) की केंद्र सरकार अयोध्या की विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण बनाने के लिए अध्यादेश (Ordinance) लाती है तो वह सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेगी. बीएमएसी के एक पदाधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि बीएमएसी ने यह फैसला मंगलवार को एक बैठक में लिया. यह बात शीर्ष अदालत द्वारा 4 जनवरी को मामले की सुनवाई के पहले कही गई है. दक्षिणपंथी समूह व राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) अध्यादेश के लिए दबाव बना रहे हैं, जबकि विपक्ष विवादास्पद मुद्दे पर अदालत के फैसले की प्रतीक्षा करने के लिए कह रहा है.
बैठक में भाग लेने वाले 70 व्यक्तियों में से एक ने कहा कि यह एक नियमित बैठक थी और इसका कोई विशेष एजेंडा नहीं था. हालांकि, मोदी सरकार द्वारा मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश या कानून लाने के मुद्दे पर पर चर्चा हुई. बीएमएसी के संयोजक जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कहा कि कमेटी सर्वोच्च न्यायालय से यह भी आग्रह करेगी कि मामले पर जल्दबाजी नहीं हो और सभी पहलुओं व सभी प्रासंगिक दस्तावेजों पर विचार करन के बाद फैसला दे.
बीएमएसी सदस्यों का यह भी मत है कि भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) की तीन राज्यों में चुनावी हार, मंदिर मुद्दे को लेकर पैदा किया जा रहा जुनून व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं की मंदिर के समर्थन में बयानबाजी को हल्के में नहीं लिया जा सकता.