एएफडी से रिफॉर्म यूके तक, यूरोप की राजनीति में मजबूत होते दक्षिणपंथी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में राष्ट्रवादी पार्टी, एएफडी ने बाकी पार्टियों को सकते में डाल दिया है. यूरोप के दूसरे देशों में भी दक्षिणपंथी पार्टियों का उभार मजबूत होता जा रहा है. कुछ तो सरकार भी चला रही हैं.मई की शुरुआत में जर्मनी के फेडरल ऑफिस फॉर प्रोटेक्शन ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन (बीएफबी) ने अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट देश की धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को "चरमपंथी दक्षिणपंथी" पार्टी करार दिया. बीएफबी, जर्मनी की आंतरिक खुफिया एजेंसी है और एएफडी देश की दूसरी बड़ी राजनीतिक पार्टी है. एएफडी ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी है. इस बीच बीएफबी का कहना है कि वह पार्टी पर चरमपंथी होने का चस्पा तब तक नहीं लगाएगी, जब तक अदालत का फैसला नहीं आ जाता. इस मामले ने जर्मनी में फिर से यह राजनीतिक बहस छेड़ दी है कि क्या एएफडी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए?

यूरोप के किसी और देश में धुर दक्षिणपंथी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की ऐसी बहस नहीं हो रही है. इसके उलट कुछ देशों में तो इस तरह की पार्टियां सरकार में शामिल हैं और कहीं कहीं तो वे ही सरकार की नेतृत्व कर रही हैं.

यूरोपीय देशों में धुर दक्षिणपंथियों पार्टियों की मौजूदगी पर डीडब्ल्यू की एक नजर.

फ्रीडम पार्टी ऑफ ऑस्ट्रिया

चांसलर क्रिस्टियान स्टोकर की रुढ़िवादी ऑस्ट्रियन पीपल्स पार्टी (ओपीवी) हेर्बट किक्ल की फ्रीडम पार्टी ऑफ ऑस्ट्रिया (एफपीओ) को धुर दक्षिणपंथी नहीं मानती है. ऑस्ट्रिया की अन्य पार्टियों ने भी एफपीओ के साथ सहयोग को सिरे से खारिज नहीं किया है. ओपीवी खुद दो बार एफपीओ के साथ गठबंधन सरकार बना चुकी है. सन 2000 में पहली बार ऐसी सरकार बनी थी. उस वक्त यूरोपीय संघ के स्तर पर इसे एक स्कैंडल की तरह देखा गया. कुछ महीनों तक संघ के अन्य देशों ने ऑस्ट्रिया सरकार के साथ अपने रिश्ते न्यूनतम स्तर पर रखे.

ऑस्ट्रिया के संसदीय इतिहास में एफपीओ तुलनात्मक रूप से नई पार्टी है. इसे 1955 में एक पूर्व नाजी ने स्थापित किया. हालांकि बाद में पार्टी का रुख कई मुद्दों पर मुलायम पड़ा.

एएफडी की तरह एफपीओ भी आप्रवासन, भूमंडलीकरण (ग्लोबलाइजेशन) और यूरोपीय संघ की आलोचक है. हालांकि ज्यादातर मामलों में एफपीओ का रुख, समझौता करने को तैयार और कम सैद्धांतिक जिद वाला लगता है. इसकी वजह शायद यह भी हो सकती है कि पार्टी कई बार सरकार का हिस्सा रह चुकी है.

2024 में एफपीओ ने पहली बार 28.8 फीसदी वोट हासिल कर संसदीय चुनाव जीते. इसके बावजूद पार्टी सरकार नहीं बना सकी. हालिया सर्वेक्षण बताते हैं कि इस वक्त पार्टी बीते चुनावों में किए प्रदर्शन से भी आगे निकल चुकी है.

फ्रांस: द नेशनल रैली (एनआर)

1972 में जॉं मारी ले पेन द्वारा स्थापित की गई ये पार्टी, फ्रांस में एक लंबा राजनीतिक सफर तय कर चुकी है. शुरुआत में इसका नाम फ्रंट नेशनल था. पार्टी की कमान जब जॉं मारी की बेटी मारीन ले पेन के हाथ में आई तो उन्होंने इसका नाम बदल दिया और एजेंडा भी कुछ हद तक मध्यमार्गी सा बना दिया.

हालांकि पार्टी अब भी आप्रवासन और इस्लाम की आलोचक है, लेकिन अब वह खुले तौर पर यहूदीविरोधी नहीं दिखती है. इस बदलाव के चलते पार्टी नए वोटरों तक पहुंचने में सफल हो रही है. ले पेन तीन बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ चुकी हैं. बीते चुनाव में तो वे दूसरे चरण के सीधे मुकाबले तक गईं. दोनों ही चरणों में उन्हें पहले का मुकाबले ज्यादा वोट मिले.

सार्वजनिक फंड का दुरुपयोग करने के दोष में, अदालत ने हाल ही में उनके चुनाव लड़ने पर पांच साल तक प्रतिबंध लगाया. ताजा सर्वेक्षण दिखा रहे हैं कि अगर मारीन ले पेन या उनकी पार्टी के नेता जॉर्डन बारदेल चुनाव लड़ते हैं तो वे पहले चरण की बाधा आराम से पार कर सकते हैं. 2024 के संसदीय चुनावों में आरएन सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी.

आरएन संरक्षणवादी और सरकारवादी नजरिया रखती है. सरल शब्दों में कहें तो पार्टी को यकीन है कि सरकार बड़ी बड़ी दिक्कतें अपने दम पर सुलझा सकती है. आरएन का यह नजरिया एएफडी का उल्टा है. ले पेन, खुद भी एएफडी से दूरी बनाकर रखती हैं. उनके लिए ये जर्मन पार्टी कथित रूप से बहुत अतिवादी है. लेकिन हो सकता है कि ऐसा दिखाकर ले पेन, घरेलू मोर्चे पर खुद को ज्यादा उदार पेश करना चाहती हों.

ब्रदर्स ऑफ इटली

जियोर्जिया मेलोनी, ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी का मुख्य चेहरा है. वह शायद यूरोपीय संघ के भीतर सबसे सफल धुर दक्षिणपंथी राष्ट्र प्रमुख हैं. ब्रदर्स ऑफ इटली के कई सदस्य, फासीवाद को सकारात्मक मानते हैं. वह मानते हैं की इटली में राष्ट्रवादी समाजवाद होना चाहिए. इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जियो मेलोनी एक बार खुद भी कह चुकी हैं कि, उनका "फासीवाद से समस्याविहीन रिश्ता" रहा है. वह हिटलर के साझेदार और इटली के फासीवादी नेता बेनिटो मुसोलिनी को "एक अच्छा राजनेता" बता चुकी हैं.

2022 में चुनाव अभियान के दौरान, मेलोनी का नारा था, "ईश्वर, परिवार और पितृभूमि." पार्टी को उन चुनावों में जीत मिली.

मेलोनी और उनकी पार्टी, गर्भपात, एलजीबीटीक्यू+ लोगों और आप्रवासियों के खिलाफ अभियान जारी रखे हुए हैं.

लेकिन कई धुर दक्षिणपंथियों के उलट, मेलोनी ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना नजरिया रखा. इस मुद्दे को वह एएफडी के साथ "समझौता न कर सकने वाला मतभेद" करार देती हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ मेलोनी का करीबी नाता है. इसी वजह से ब्रसेल्स में उन्हें ट्रांसअलटलांटिक मध्यस्थ के तौर पर भाव दिया जाता है.

स्वीडन डेमोक्रैट्स

स्वीडन डेमोक्रैट्स पार्टी की जड़ें, धुर दक्षिणपंथी आंदोलन "स्वीडन को स्वीडिश ही रहना चाहिए" आंदोलन तक जाती हैं. सन 2000 की शुरुआत से ठीक पहले पार्टी ने खुद को इन जड़ों से दूर करने की कोशिश की. उस दौरान पार्टी ने जताया कि वह ज्यादा मध्यमार्गी सोच रखती है.

पार्टी के वर्तमान नेता जिमी अकेसन, इस रणनीति को सफलता से जारी रखे हुए हैं. 2022 के संसदीय चुनावों में उन्होंने स्वीडन डेमोक्रैट्स को देश की दूसरी मजबूत पार्टी बना दिया. तब से पार्टी ने प्रधानमंत्री उल्फ यालमार क्रिस्टर्सन की अल्पमत सरकार सहारा दे रखा है.

दूसरे देशों की धुर दक्षिणपंथी पार्टियों की तरह ही, स्वीडन डेमोक्रैट्स के लिए आप्रवासन सबसे अहम मुद्दा है. स्वीडन के कई बड़े शहरों में फैली गैंगवॉर हिंसा भी पार्टी की सफलता के लिए जिम्मेदार है. धुर दक्षिणपंथी विचारधारा वाली अन्य पार्टियों के उलट, स्वीडन डेमोक्रैट्स ने जलवायु सुरक्षा का समर्थन करती है.

नीदरलैंड्स: पार्टी फॉर फ्रीडम (पीवीवी)

नीदरलैंड्स में 2023 के संसदीय चुनावों में बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला. चुनावों में गेर्ट विल्डर्स की धुर दक्षिणपंथी पार्टी, पार्टी फॉर फ्रीडम (पीवीवी) सबसे बड़ा दल बनकर उभरी. चुनावी सफलता के बाद पीवीवी ने तीन पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई. हालांकि, बाद में गठबंधन में शामिल पार्टियों को विल्डर्स के अतिवादी विचार अस्वीकार्य लगे, जिसके चलते प्रधानमंत्री पद के लिए डिक स्कूफ को चुना गया. स्कूफ एक वरिष्ठ नौकरशाह हैं और किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं.

पीवीवी की संरचना अन्य राजनीतिक दलों से अलग है. पार्टी का एकमात्र आधिकारिक सदस्य खुद गेर्ट विल्डर्स हैं. उनके अलावा सभी सांसद और मंत्री केवल समर्थक के तौर पर काम करते हैं. इसका नतीजा यह है कि पार्टी का घोषणापत्र, नीतियां और उम्मीदवारों का चयन अकेले विल्डर्स करते हैं.

पीवीवी का प्राथमिक एजेंडा है अवैध आप्रवासन और इस्लाम के खिलाफ सख्त रुख. विल्डर्स कुरान पर प्रतिबंध लगाने और नई मस्जिदों के निर्माण को रोकने जैसे कड़े प्रस्तावों के लिए जाने जाते हैं. हालांकि, हालिया चुनाव से पहले उन्होंने अपनी कट्टर इस्लाम-विरोधी नीतियों को "फ्रीजर में रखने" की बात कही थी, ताकि सरकार बन सके. इसके अलावा, विल्डर्स जलवायु संरक्षण और यूरोपीय संघ के विरोध को भी अपने एजेंडे का अहम हिस्सा मानते हैं. इन कदमों को वह देश की संप्रभुता में दखल मानते हैं.

रिफॉर्म यूके पार्टी

ब्रिटेन की राजनीति में हाल के वर्षों में कई बदलाव देखने को मिले. इसी दौरान नाइजल फराज का नाम प्रमुख तौर पर उभरा. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को बाहर निकालने की मांग को लेकर मशहूर हुई यूके इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) से अलग होने के बाद फराज ने नई पार्टी 'रिफॉर्म यूके' बनाई.

संगठन में होने वाले बदलाव के हर चरण में पार्टी की कमान फराज के हाथों में ही रही. अब यह पार्टी आप्रवासन में कटौती को अपना प्रमुख मुद्दा बना चुकी है. इसी मुद्दे को लेकर वह सत्ताधारी लेबर पार्टी और विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी दोनों पर दबाव बना रही है. फराज दोनों ही दलों को आप्रवासन के मुद्दे पर निष्क्रिय और विफल ठहराते रहते हैं. इस दबाव के चलते हाल ही में क्षेत्रीय चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के कुछ ही दिनों बाद, प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर को वादा करना पड़ा कि वे न सिर्फ अवैध आप्रवासन, बल्कि रोजगार क्षेत्र में होने वाले वैध आप्रवासन में भी भारी कटौती करेंगे.

राष्ट्रीय सर्वेक्षणों के मुताबिक, इस समय रिफॉर्म यूके, लेबर और कंजर्वेटिव जैसी दो बड़ी पार्टियों के मुकाबले मामूली बढ़त बनाए हुए है. पार्टी के डिप्टी लीडर रिचर्ड टाइस ने ब्रिटिश सरकार के जलवायु लक्ष्यों को "बेतुका" करार देते हुए साफ कहा है कि "जलवायु तटस्थता" का लक्ष्य व्यावहारिक नहीं है.