लखनऊ: राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होनी है. इससे पहले NDA समर्थित प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) शुक्रवार को लखनऊ पहुंची थीं. इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से द्रोपदी मुर्मू के सम्मान में मुख्यमंत्री आवास पर रात्रिभोज का आयोजन किया गया था. इस डिनर में सुभासपा मुखिया ओपी राजभर और प्रसपा प्रमुख व सपा विधायक शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) भी पहुंचे. इन दोनों की मौजूदगी ने समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. पूरे मामले में चाचा शिवपाल ने भतीजे अखिलेश पर निशाना साधा है. Presidential Election 2022: OP राजभर, राजा भैया व शिवपाल यादव का द्रौपदी मुर्मू को समर्थन, बसपा भी करेगी सपोर्ट.
शिवपाल यादव ने कहा कल मुझे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलाया तो मैं वहां गया. द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात हुई. मैं सीएम योगी से मिला, उन्होंने मुझसे अच्छे तरीके से बात भी की. शिवापल यादव ने यह भी कहा कि हमें समाजवादी पार्टी की तरफ कभी भी किसी मीटिंग में नहीं बुलाया गया, परसों भी यशवंत सिन्हा यहां थे लेकिन नहीं बुलाया गया.
शिवपाल यादव ने बगैर किसी का नाम लिये अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनैतिक अपरिपक्वता की कमी होने के कारण ये सब होता चला जा रहा है और पार्टी कमजोर हो रही है, लोग पार्टी छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा जब मैंने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीता तो हमसे भी राय लेनी चाहिए. अगर मेरा सुझाव माना गया होता और उन 100 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया होता जिनका सुझाव हमने एक साल पहले दिया था तो आज समाजवादी पार्टी की स्थिति कुछ और होती.
एएनआई से बात करते हुए, शिवपाल ने कहा कि उन्होंने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपना समर्थन देंगे और कहा कि उन्होंने उन्हें वोट देने का फैसला किया है." उन्होंने कहा, मैंने पहले ही कहा था कि मैं उसे वोट देने जा रहा हूं जो इसे मांगेगा. समाजवादी पार्टी ने न तो मुझे बुलाया, न ही मेरा वोट मांगा. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल मुझे आमंत्रित किया जहां मैंने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और वोट देने का फैसला किया.
शिवपाल ने आगे कहा कि उन्हें विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ बैठक में भी नहीं बुलाया गया था. शिवपाल यादव ने अन्य दलों के साथ गठबंधन टूटने के लिए अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराया है. द्रोपदी मुर्मू को समर्थन से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच एक बार फिर बड़ी दरार देखने को मिलेगी.