शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में मिली जमानत के खिलाफ याचिका दायर की. ED के वकील जल्द ही हाईकोर्ट की छुट्टियों वाली बेंच के सामने मामले का उल्लेख करेंगे ताकि जल्द सुनवाई हो सके.
गुरुवार को निचली अदालत ने केजरीवाल को जमानत दे दी थी. छुट्टियों वाली जज नियाय बिंदु ने ₹1 लाख के मुचलके पर केजरीवाल को रिहा करने का आदेश दिया था. ED ने अदालत से केजरीवाल की रिहाई को 48 घंटों के लिए रोकने का अनुरोध किया था, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया.
केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. आरोप है कि केजरीवाल एक षड्यंत्र का हिस्सा थे जिसमें 2021-22 की अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति में जानबूझकर खामियां छोड़ी गई थी ताकि कुछ शराब विक्रेताओं को फायदा हो सके.
ED का आरोप है कि शराब विक्रेताओं से प्राप्त रिश्वत का उपयोग आम आदमी पार्टी (AAP) के गोवा में चुनाव प्रचार को फंड करने के लिए किया गया था और केजरीवाल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते पैसा लांडरिंग के अपराध के लिए व्यक्तिगत और उपरोक्त दोनों तरह से जिम्मेदार हैं.
केजरीवाल ने इन आरोपों का खंडन किया है और ED पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है. इस मामले में गिरफ्तार हुए अन्य AAP नेता में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनोज सिसोदिया और सांसद संजय सिंह शामिल हैं. सिंह फिलहाल जमानत पर बाहर हैं, हालांकि सिसोदिया अभी भी जेल में हैं.
मई में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने की अनुमति देने के लिए अंतरिम जमानत दी थी. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमत अंतरिम जमानत अवधि खत्म होने के बाद वह 2 जून को फिर से जेल लौट आए.
उन्होंने चिकित्सा आधार पर 7 दिनों के लिए अंतरिम जमानत मांगते हुए एक आवेदन भी दायर किया था. हालांकि, 5 जून को निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद, निचली अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद ED ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.