मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में शनिवार सुबह बड़ा उलटफेर हुआ. सूबे में रातों रात राजनीति की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. राज्य में बीजेपी और एनसीपी की सरकार बन गई है. शिवसेना को बड़ा झटका देते हुए बीजेपी और एनसीपी ने महाराष्ट्र में सरकार बना ली है. बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद की शपथ ली. वहीं एनसीपी के अजीत पवार (Ajit Pawar) ने डिप्टी सीएम की शपथ ली. यह शपथ समारोह राजभवन में हुआ. सुबह-सवेरे सूबे की राजनीति में आया यह बड़ा उलटफेर हर किसी के लिए चौंकाने वाला था. दोनों नेताओं को आज सुबह करीब आठ बजे शपथ दिलाई गई.
अभी तक शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी सरकार बनाने के प्रयासों में जुटी थी. तीनों पार्टियां लगभग सरकार बनाने की कगार तक पहुंच गई थी लेकिन बीजेपी ने आखिरी वक्त में बाजी पलट कर सत्ता की कुर्सी अपने पाले में कर ली.
देवेंद्र फडणवीस ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ-
Mumbai: Devendra Fadnavis took oath as Maharashtra Chief Minister again, oath was administered by Governor Bhagat Singh Koshyari at Raj Bhawan https://t.co/wxBOHjunJs pic.twitter.com/9Y1o4oQi2N
— ANI (@ANI) November 23, 2019
अजीत पवार बने डिप्टी सीएम-
NCP's Ajit Pawar takes oath as Deputy CM,oath was administered by Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari at Raj Bhawan pic.twitter.com/e1wVtiGZJX
— ANI (@ANI) November 23, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का दोबारा सीएम बनने पर बधाई दी है. पीएम ने कहा, देवेंद्र फडणवीस जी और अजित पवार जी को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई. मुझे विश्वास है कि वे महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए लगन से काम करेंगे.
महाराष्ट्र के सीएम के रूप में फिर से शपथ लेने के बाद देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, जनता ने हमें स्पष्ट जनादेश दिया था, लेकिन परिणाम के बाद शिवसेना ने अन्य दलों के साथ सरकार बनाने की कोशिश की, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया. महाराष्ट्र को एक स्थिर सरकार की जरूरत है, एक 'खिचड़ी' सरकार की नहीं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर यह चुनाव लड़ा था. दोनों पार्टियों ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा भी पार कर लिया था. लेकिन शिवसेना ने बीजेपी के सामने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख दी जिसके मुताबिक ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का मॉडल था. जिसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए.