यूरोप में जर्मनी के बॉर्डर चेक की आलोचना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूरोपीय आयोग के पूर्व अध्यक्ष ज्यॉं क्लोद युंकर ने जर्मनी की सीमा पर सुरक्षा और चौकसी बढ़ाए जाने के फैसले को यूरोपीय एकता के लिए एक संभावित खतरा बताया है.सीमा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए जर्मनी 16 सितंबर से सीमाओं पर नियंत्रण बढ़ाने जा रहा है. इसका मकसद अवैध आप्रवासियों और इस्लामिक चरमपंथ पर रोक लगाना है. हालांकि, जर्मनी का ये कदम यूरोपीय संघ और शेंगन क्षेत्र में नागरिकों की मुक्त आवाजाही के अधिकार को बाधित करता है. यूरोपीय आयोग के पूर्व अध्यक्ष ज्याँ क्लोद युंकर ने इस फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि सीमा पर इस तरह से सुरक्षा बढ़ाए जाने से रोज आने जाने वालों को परेशानी होगी. साथ ही यह यूरोपीय एकता के लिए संभावित खतरा है.

जर्मन न्यूज एजेंसी डीपीए से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह सीमा पर नियंत्रण और चौकसी बढ़ाए जाने के पैरोकार नहीं रहे हैं क्योंकि इससे आम लोगों को परेशानी होती है. उनके मुताबिक सीमा पर होने वाली जांच का असर उन 50,000 जर्मन नागरिकों पर भी पड़ेगा जो कामकाज के लिए हर रोज लग्जमबर्ग आते हैं. हालांकि उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि बड़े आयोजनों जैसे हाल ही में संपन्न हुए यूरो कप के दौरान सीमा पर अधिक चौकसी रखना जरूरी होता है लेकिन अवैध आप्रवासियों पर रोक लगाने के लिए इसे जारी रखने पर उन्होंने सवाल उठाए.

सीमाएं बंद करके क्या प्रवासियों को रोक सकेगा यूरोप

यूरोप के भीतर जर्मनी के फैसले की आलोचना

जर्मनी शेंगन क्षेत्र में आता है. इस जोन में यूरोपीय संघ समेत यूरोप के 29 देश शामिल हैं. इसके तहत करीब 42 करोड़ लोगों बिना किसी रोक टोक के शेंगन जोन में एक जगह से दूसरी जगह आवाजाही कर सकते हैं. युंकर ने चिंता जताई कि जर्मनी की नई नीति शेंगन क्षेत्र के मूल सिद्धांत को कमजोर कर सकती है.

युंकर पहले शख्स नहीं हैं जिन्होंने इस फैसले से आपत्ति जताई है. ऑस्ट्रिया के आतंरिक मामलों के मंत्री गेरहार्ड कार्नर ने कहा है कि अगर जर्मनी अपनी सीमा से अवैध आप्रवासियों को लौटाता है तो उन्हें ऑस्ट्रिया में आने की इजाजत नहीं मिलेगी. पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनल्ड टुस्क ने इस फैसले को अस्वीकार्य बता चुके हैं. यूरोपीय संघ के नियमों के मुताबिक शेंगेन क्षेत्र के अंदर आने वाले देश आंतरिक सुरक्षा के खतरे की स्थिति में ही सीमाओं पर जांच अधिक सख्त कर सकते हैं.

आप्रवासन के मुद्दे पर दबाव में जर्मन सरकार

जर्मनी में आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर के मुताबिक फिलहाल यह नीति अगले छह महीनों तक लागू रहेगी. हाल के कुछ समय में जर्मनी में चाकू से हमले की घटनाएं भी इस सख्त फैसले की एक बड़ी वजह है. साथ ही आप्रवासियों और शरणार्थियों की बढ़ती संख्या को लेकर भी मौजूदा सरकार लगातार आलोचना के घेरे में रही है.

जर्मनी के दो प्रांतों में हाल में हुए चुनावों में अवैध आप्रवासन एक बड़ा मुद्दा बना. आप्रवासियों का विरोध करने वाली धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी, इस मुद्दे के सहारे पहली बार किसी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जर्मनी के पूर्वी प्रांत थुरिंजिया में एएफडी पहले स्थान पर रही और सैक्सनी में दूसरे नंबर पर. जर्मन की गठबंधन सरकार में शामिल तीनों पार्टियां दोनों राज्यों में कुल फीसदी सीटें भी नहीं जीत सकीं. चुनावों के इन नतीजों के बाद गठबंधन सरकार को आप्रवासन के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

आरआर/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स)