China On India vs Bharat Row: देश में इस समय भारत बनाम इंडिया की बहस जोरो पर है. इस बीच G20 शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाला है. संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और यूके जैसे विकसित देशों के गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में भाग लेंगे.
जी-20 की बैठक से ठीक पहले इंडिया बनाम भारत की बहस में चीन भी कूद पड़ा है. भारत की आंतरिक बहस के जवाब में चीन ने अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया है. चीन का रुख इस बात पर जोर देता है कि भारत अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के अवसर के रूप में जी20 सम्मेलन का लाभ उठाना चाहिए. चीन ने सुझाव दिया है कि 'देश का नाम बदलने से ज्यादा जरूरी है G-20. भारत को महत्वपूर्ण मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए.' जी20 से अपील, विदेश में भारतीय बच्चों की सुरक्षा का मसला हल करे
ग्लोबल टाइम्स ने चीन के आधिकारिक मुखपृष्ठ पर स्पष्ट रूप से कहा, "मुख्य बात यह है कि क्या भारत ठोस आर्थिक सुधार कर सकता है. क्रांतिकारी विकास के लिए क्रांतिकारी सुधारों की आवश्यकता होती है. हमारी आशा है कि भारत जी20 की मेजबानी करके प्राप्त वैश्विक मान्यता का अधिकतम लाभ उठाएगा."
ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार 1991 के बाद से आर्थिक सुधारों के मामले में सबसे महत्वाकांक्षी रही है. फिर भी, रिपोर्ट में निराशा व्यक्त की गई है कि भारत ने हाल ही में अपना ध्यान व्यापार संरक्षणवाद की ओर लगाया है. रिपोर्ट में में इस बात पर जोर दिया गया है कि ये चिंताएं देश का नाम बदलने से कहीं अधिक सर्वोपरि हैं.
कुछ चीनी कंपनियों पर भारत के सख्त रवैये को लेकर रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के लिए अपने बाजारों को नहीं खोलने की भारत की हिचक समझी जा सकती है. हालांकि 1947 के बाद का इतिहास बताता है कि हर बार जब भारत ने सुधार को बढ़ावा दिया है या फिर आर्थिक उदारीकरण किया है इससे उसका आर्थिक विकास हुआ है.
जी20 मेजबान के रूप में भारत की भूमिका को संबोधित करते हुए चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस अवसर का उपयोग करने के महत्व पर जोर दिया. विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना और सभी विदेशी निवेशकों के लिए एक न्यायसंगत कारोबारी माहौल बनाना चीन द्वारा की गई सिफारिशों में से एक था.