22 साल बाद जर्मनी के दो युद्धपोतों ने ताइवान की खाड़ी पार की है. इस कदम से बिफरे बीजिंग ने जर्मनी को कड़ी चेतावनी दी है. चीन के आस पास जलक्षेत्र में अब लहरों के साथ चेतावनियां और धमकियां भी बह रही है.13 सितंबर 2024 को जर्मन नौसेना के युद्धपोत, बाडेन-वुर्टेमबर्ग फ्रिगेट और फ्रांकफुर्ट आम माइन सप्लाई वेसल ने ताइवान की खाड़ी पार की. दोनों युद्धपोत दक्षिण कोरिया से फिलीपींस जा रहे थे. 2002 के बाद यह पहला मौका है जब जर्मनी के युद्धपोतों ने ताइवान और चीन के बीच मौजूद खाड़ी को पार किया है. इस दौरान चीन और ताइवान की सेनाओं ने दावा किया कि वे लगातार इन दोनों युद्धपोतों पर नजर रख रही थीं.
चीन, ताइवान समेत इस पूरे इलाके पर अपना दावा जताता है. वहां विदेशी युद्धपोतों की आवाजाही को बीजिंग अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के तौर पर देखता है. वहीं अन्य देश इस खाड़ी को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र मानते हैं. जर्मन युद्धपोतों की आवाजाही के अगले दिन शनिवार को चीनी नौसेना की पूर्वी कमांड के कैप्टन ली शी ने कहा, "जर्मन पक्ष के व्यवहार ने सुरक्षा जोखिम बढ़ा दिया है और इसने गलत संकेत भी भेजे हैं."
बर्लिन स्थित चीनी दूतावास ने भी इस बारे में अलग से बयान जारी कर जर्मन सरकार को अपनी चिंता से अवगत कराने का दावा किया है. दूतावास ने कहा, "ताइवान का मसला, 'आवाजाही की आजादी' का सवाल नहीं है, बल्कि ये चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मामला है."
जर्मनी ने नजरअंदाज की चीन की चिंता
जर्मनी के नेताओं ने बीजिंग के इस विरोध को अब तक खारिज किया है. राजधानी बर्लिन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि ताइवान की खाड़ी एक "अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र" है. इससे पहले जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र और "तत्कालीन मौसमी परिस्थितियों में" सबसे शॉर्ट रूट कहा था.
शुक्रवार को जब जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से यह पूछा गया कि क्या युद्धपोतों के खाड़ी पार करने के बारे में चीन को सूचना दी गई थी तो बर्लिन ने कहा, "इसकी ना तो कोई योजना थी, ना ही जरूरत."
महत्वपूर्ण पहल है जर्मनी की इंडो-पैसिफिक नीति
जर्मन सेना की वेबसाइट में हिंद प्रशांत क्षेत्र को 2024 की समुद्री रक्षा कूटनीति में सबसे अहम प्रोजेक्ट बताया गया है. जर्मन सेना के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मकसद से जर्मन नौसेना के जहाज इंडो पैसिफिक में तैनात हैं.
ताइवान, अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र और चीन का दावा
चीन, ताइवान को अपना अभिन्न अंग कहता है. हालांकि ताइवान की लोकतांत्रिक सरकार चीन के दावे को खारिज करती है. बर्लिन स्थित चीनी दूतावास के बयान में एक बार फिर इस दोहराते हुए कहा गया है, ताइवान की खाड़ी चीन का जलक्षेत्र है "और वहां कोई तथाकथित 'अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र' नहीं है."
चीन जर्मनी का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. लेकिन 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के बाद से जर्मनी और चीन के रिश्तों में खटास आई है. युद्धपोतों को आवाजाही के बाद चीन ने जर्मनी से कहा कि वह दोनों देशों के स्वस्थ और स्थिरता भरे रिश्तों के विकास में बाधा पैदा करने वाले कदम न उठाए.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक हाल के समय में, दो महीने में एक बार अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत ताइवान की खाड़ी पार करते आ रहे हैं. अमेरिका के साझेदार कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस के युद्धपोत भी बीच बीच में ऐसा कर चुके हैं. चीन ने हर बार इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
असल में चीन अब तक आधिकारिक रूप से कहता आया है कि वह ताइवान को चीन में मिलाने के लिए ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगा. लेकिन बीते एक दशक में चीनी सेना की गतिविधियां इसकी उलट दिखाई पड़ रही है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ने ताइवान के आस पास सैन्य गतिविधियां और घेराबंदी बढ़ा दी है.
दक्षिण चीन सागर को लेकर भी वाकयुद्ध
ताइवान की खाड़ी के साथ साथ बीजिंग अपने पड़ोसियों के साथ दक्षिण चीन सागर विवाद में भी फंसा है. इसी हफ्ते चीनी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका समेत कई देशों को गंभीर चेतावनी दे चुके हैं. चीन के शियांगशान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल हे लाई ने कहा, हमें उम्मीद है कि दक्षिण चीन सागर शांति का सागर बना रहेगा "लेकिन अगर अमेरिका ने पर्दे के पीछे अपने पंजे हिलाने की कोशिश की, अगर उसने दूसरे देशों को फ्रंटलाइन पर धकेला, या फिर अमेरिका खुद फ्रंटलाइन पर आया, तो चाइनीज पीपल्स आर्मी के हम लोग कोई धैर्य नहीं रखेंगे."
इस बातचीत के दौरान समाचार एजेंसी एएफपी के पत्रकार भी वहां मौजूद थे. हे ने एएफपी के पत्रकारों की मौजूदगी में कहा, चीन की पीपल्स आर्मी के हम लोग, दृढ़ता से "चीन के इलाके में विदेशी दुश्मनी वाले कब्जे को कुचल देंगे."
चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता है. इसके चलते फिलीपींस, वियतनाम समेत कई पड़ोसी देशों से उसके रिश्ते बिगड़ हो चुके हैं. हाल के महीनों में ऐसे कई मौके आए हैं जब चीनी नौसेना ने फिलीपींस के जहाजों के खिलाफ खतरनाक कदम उठाए. इसके बाद अमेरिकी नौसेना के हिंद प्रशांत कमांड के कमांडर सैमुएल पैपारो ने चीनी सेना की सदर्न थिएटर कमांड के प्रमुख से वीडियो कॉल पर बातचीत भी की.
अमेरिकी सेना के बयान के मुताबिक, पैपारो ने "पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी)" से दक्षिण चीन सागर और उसके पार खतरनाक, बलपूर्वक और संभावित तौर पर भड़काऊ रणनीति के इस्तेमाल पर पुर्नविचार के लिए कहा है."
इन चेतावनियों के बीच अमेरिका और चीन ने सैन्य अधिकारियों के बीच उच्च स्तर पर नियमित बातचीत को फिर से बहाल करने की इच्छा भी जताई है.
ओएसजे/केबी (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)