बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में चुनावी गहमागहमी दिख रही है लेकिन इसका कोई असर सुमित कुमार (Sumit Kumar) के पिता पर नहीं है जिनकी मौत बीते साल तीन दिसंबर को भीड़ की हिंसा के दौरान पुलिस की फायरिंग में हो गई थी. दुखी और नाराज अमरजीत सिंह की रुचि सभी राजनैतिक दलों में समाप्त हो गई है और वह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से खफा हैं. उन्होंने आईएएनएस से कहा, "बेटे की मौत के बाद अब मेरे दिल में किसी भी पार्टी या नेता के लिए कोई जगह नहीं बची है." अमरजीत सिंह ने कहा, "शुरू में मुझे विश्वास था कि योगी सरकार न्याय करेगी लेकिन मैं विश्वास खो बैठा. बीते चार महीने से मैं न्याय के लिए लड़ रहा हूं. लेकिन, हिंसा के वास्तविक जिम्मेदार आज भी खुले में घूम रहे हैं और कितने ही बेगुनाह जेल में हैं."
उन्होंने कहा कि भाजपा के सांसद और इस बार फिर चुनाव लड़ रहे भोला सिंह ने उस दिन भी गांव का दौरा नहीं किया जिस दिन उनके बेटे का अंतिम संस्कार हुआ था. उन्होंने कहा, "मुझे उनसे या किसी और से कोई उम्मीद नहीं है. सभी एक जैसे हैं." हालांकि, उन्होंने कहा कि केवल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उनकी पीड़ा को समझ सकते हैं क्योंकि उन्होंने हिंसा में अपने पिता और दादी को खोया है. बुलंदशहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित चिंगरावटी गांव के निवासी अमरजीत सिंह का आरोप है कि हिंसा के मामले में दर्ज की गई एफआईआर को मनमाफिक तोड़ मरोड़ा गया है और प्रशासनिक व राजनैतिक दबाव के कारण उनके बेटे के वास्तविक हत्यारों का नाम इसमें नहीं है.
उन्होंने आरोप लगाया कि इंस्पेक्टक सुबोध कुमार ने उनके बेटे की छाती में गोली मारी थी. हिंसक घटना तब हुई थी जब हिंदूवादी संगठन बजरंग दल के सदस्य तीन दिसंबर को कुछ गायों के शरीर के अंश लेकर पुलिस के पास पहुंचे थे और जिनके बारे में उन्होंने कहा था कि यह अंश एक खेत से मिले हैं. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार भीड़ की हिंसा में मार डाले गए थे. जिस जगह यह घटना हुई थी वह बुलंदशहर क्षेत्र की सयाना विधानसभा क्षेत्र में आती है.
सुमित कुमार अमरजीत सिंह की चार बेटियों और दो बेटों में से सबसे छोटे थे. उनके पिता ने कहा कि जिस दिन वह (सुमित) मारे गए, उस दिन वह किसी प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे. वह अपने दोस्त को सड़क तक छोड़ने गए थे जो चिंगरावटी पुलिस स्टेशन से दो सौ मीटर की दूरी पर है. उन्होंने कहा, "बारह मिनट के अंदर मेरे बड़े बेटे के पास किसी का फोन आया कि सुमित को गोली लग गई है. हम उसे सयाना अस्पताल ले गए. रास्ते में सुमित ने मुझे बताया कि उसे इंस्पेक्टर सुबोध ने गोली मारी, जब वह यह देखने के लिए पुलिस चौकी की तरफ जा रहा था कि वहां क्या हो रहा है."
वहां से उन्हें मेरठ ले जाया गया लेकिन उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया. आंखों में उमड़ आए आंसू पोंछते हुए सिंह ने कहा कि उनका बेटा बीए कर रहा था. वह निर्दोष था. सिंह दूध बेचकर एक दिन में करीब दो सौ रुपये कमाते हैं. उनका आरोप है कि एक पुलिस टीम मेरठ अस्पताल पहुंची थी और उनके साथ उसने अभद्रता की थी.
सुमित के पिता ने कहा, "पुलिसवालों ने मुझे रात में जेल में डाल दिया और यह कहते हुए मुझे पीटा की मेरा बेटा मुख्य आरोपी था. बाद में मुझे जेल से जाने दिया गया. अगले दिन मुझे एक शवदाह गृह में बेटे के अंतिम संस्कार के लिए बाध्य किया गया." यह कहने पर कि एक वीडियो में सुमित को पत्थर फेंकते देखा गया है, उन्होंने कहा, "एक डमी का इस्तेमाल मेरे बेटे की घटना में सलिप्तता साबित करने के लिए किया गया." बुलंदशहर संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां 18 अप्रैल को चुनाव होना है.