BUDGET 2019: विपक्ष ने मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट को बताया निराशाजनक और पुराना
बजट 2019 (File Photo)

नई दिल्ली: भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट (Budget) पेश किया. संसद में बजट पेश होने के बाद जहां एक तरफ पक्ष के तमाम नेता इसे तरक्की और गरीबों के सपनों को पूरा करने वाला बजट बता रहे है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल के नेता इसे निराशाजनक करार दे रहे है.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बजट में कुछ नया नहीं है, मोदी सरकार ने पुराने वादों को दोहराया है. वे नए भारत के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन बजट एक नई बोतल में पुरानी शराब की तरह प्रतीत हो रही है. उन्होंने आगे कहा कि आम बजट में कोई नई बात नहीं, रोजगार सृजन की कोई योजना नहीं, कोई नई पहल नहीं बताई गई है.

इसके साथ ही कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘‘गाँव,ग़रीब व किसान’ हाशिये पर. क्या थोथे शब्दों से कृषि संकट हल होगा? न किसान की आय दुगनी करने का रास्ता, न न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का वादा, अकाल-सूखे से लड़ने का कोई उपाय, न ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संकट का सुधार. केवल डीज़ल पर दो रुपये का अतिरिक्त भार.’’

वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि 'बीजेपी की केन्द्र सरकार ने बजट को हर मामले और हर स्तर पर लुभावना बनाने की पूरी कोशिश की है. लेकिन, देखना है कि इनका यह बजट जमीनी हकीकत में देश की आम जनता के लिए कितना लाभदायक सिद्ध होता है. जबकि पूरा देश गरीबी, बेरोजगारी, बदतर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा से पीड़ित और परेशान है. यह बजट प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर कुछ बड़े-बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों की मदद करने वाला है, जिससे दलितों और पिछड़ों के आरक्षण की ही नहीं बल्कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, किसान व ग्रामीण समस्या और भी जटिल होगी. देश में पूंजी का विकास भी इससे संभव नहीं है.'

जबकि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि युवाओं के रोज़गार पर बजट ख़ामोश, किसान की आय दोगुना करने की तैयारी पर बजट ख़ामोश, व्यापारियों, कर्मचारियों को टैक्स में राहत देने पर बजट ख़ामोश, टैक्स का अतिरिक्त भार और सरकारी कम्पनियों को बेचने की तैयारी करने वाला बजट, फिर भी आप सब रहिये ख़ामोश, 35 करोड़ LED बल्ब मिल गया न उजाला है.

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उन्होंने आगे कहा कि सीनियर सिटीज़न, महिलाओं और वेतन भोगी वर्ग को मौजूदा बजट से घोर निराशा हुई है महिलाओं की सुरक्षा पर बजट में कोई बात नही की गई.

गौरतलब है कि गांव, गरीब और किसान के साथ ही देश के प्रत्येक नागरिक के विकास का दावा करने वाले इस बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मीडिया, विमानन, बीमा और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार करने का प्रस्ताव किया गया है. बजट में बुनियादी आर्थिक और सामाजिक ढांचा के विस्तार, पेंशन और बीमा योजनाओं को आम लोगों की पहुंच के दायरे में ले जाने के विभिन्न प्रस्ताव किए गए हैं.