हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में शुरू हुआ बिजली महादेव रोपवे परियोजना (Bijli Mahadev ropeway) इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इस परियोजना की नींव मोहल नेचर पार्क, कुल्लू से वर्चुअली रखी. इस परियोजना का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है, लेकिन मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया है.
कंगना रनौत बिजली महादेव रोपवे का क्यों कर रही विरोध?
कंगना रनौत और स्थानीय निवासी इस प्रोजक्ट का विरोध कर रहे हैं. कंगना ने कहा, "हमारे देवता की इच्छा हमारे लिए आधुनिकरण से ज्यादा महत्वपूर्ण है. अगर देवता इस परियोजना के खिलाफ हैं, तो इसे तुरंत रोका जाना चाहिए."
कुल्लू और कश्वरी घाटी के लोग इस रोपवे के खिलाफ लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि इस परियोजना से पर्यावरण को नुकसान होगा, क्योंकि इसके निर्माण में कई पेड़ों की कटाई होगी. इसके अलावा, स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी बुरा असर पड़ सकता है, जो पर्यटकों को ट्रेकिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करके अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं.
बिजली महादेव रोपवे की तकनीकी विशेषताएं
नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड के प्रबंधक अनिल सेन के अनुसार, यह एक मोनो केबल रोपवे होगा जिसमें 55 बॉक्स लगाए जाएंगे. इसकी क्षमता प्रति घंटे 1200 लोगों को ले जाने की होगी, जिसे भविष्य में 1800 तक बढ़ाया जा सकता है.
बिजली महादेव रोपवे परियोजना: उद्देश्य और लाभ
बिजली महादेव मंदिर कुल्लू की खूबसूरत खाराहल घाटी में स्थित है, जहां अब तक पहुंचने के लिए लोगों को 2-3 घंटे की कठिन यात्रा करनी पड़ती थी. लेकिन इस 272 करोड़ रुपये की रोपवे परियोजना के पूरा होने के बाद, पर्यटक महज 7 मिनट में मंदिर तक पहुंच सकेंगे. इस रोपवे की मदद से प्रति दिन 36,000 पर्यटकों के मंदिर पहुंचने का अनुमान है, जो कुल्लू में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.
बिजली महादेव मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
बिजली महादेव मंदिर कुल्लू घाटी के कश्वरी गांव में 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस प्राचीन मंदिर का नाम बेहद खास है, क्योंकि यहां हर 12 साल में शिवलिंग पर बिजली गिरती है और इसे पुजारी द्वारा दोबारा जोड़ा जाता है. यह मंदिर पूरे देश और दुनिया से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है.
बिजली महादेव रोपवे परियोजना को जहां एक ओर पर्यटन को बढ़ावा देने और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोग इसके विरोध में अपने पर्यावरण और धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. अब देखना यह है कि सरकार इस विवाद को कैसे सुलझाती है और क्या कंगना रनौत की मांगों पर विचार किया जाएगा.