पटना: बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) की बिहार राज्य कार्यकारिणी एवं राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन शनिवार को पार्टी नेताओं का दर्द छलक उठा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा कि चुनाव के दौरान पता ही नहीं चला कि कौन दोस्त है और कौन विरोधी है. बैठक में पार्टी पदाधिकारियों के अलावा चुनाव में पराजित हुए पार्टी प्रत्याशी भी मौजूद रहे. बैठक में नीतीश कुमार ने एकबार फिर कहा कि वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी और भाजपा के दबाव की वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान उन्हें पता ही नहीं चला कि कौन दुश्मन है और कौन दोस्त। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राजग में पांच महीने पहले ही सभी विषयों पर बात हो जानी चाहिए थी. मुख्यमंत्री ने हालांकि यह भी कहा कि सरकार पांच साल चलेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से समाज के हर तबके के बीच जाने की अपील करते हुए कहा कि हर वर्ग के लोगों के लिए काम करिए और लोगों के उत्थान में जुटिए. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि आने वाले समय में हमलोग और मजबूत होकर उभरेंगे. यह भी पढ़े: अरुणाचल की घटना के बाद ‘डैमेज कंट्रोल’ में BJP, नीतीश कुमार को बताया NDA का ‘गार्जियन’
इस बैठक में कई नेताओं ने लोजपा और भाजपा के गठबंधन के कारण हारने की बात का खुलासा किया. बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा पार्टी के अध्यक्ष आर सी पी सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह एवं अन्य नेताओं के साथ शामिल हुए.