बिहार में चुनाव आयोग ने तीन चरण की विधानसभा चुनाव की तारीखों घोषणा कर दी है. तारीखों की घोषणा किए जाने के बाद चुनावी जंग के लिए मैदान तैयार हो गया है. वहीं, पार्टियां उन धुरंधरों पर दांव खेलने का मन बना रही है जो जीत का परचम लहरा सके. इसे लेकर बीजेपी कई विधायकों के रिव्यू पर नजर रखे हुए हैं. यही कारण है कि एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर पर पूरी नजर रखे हुए. अभी राजग ( NDA) के टिकटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. इस दौरान LJP टिकटों के बंटवारे को लेकर खींचतान कर रही है. सूत्रों की माने तो बीजेपी उन नेताओं का टिकट काट सकती है. जिनके खिलाफ जनता में रोष हो. या फिर जिनके जीत पर संसय हो. दरअसल JDU-BJP-LJP मिलकर इस चुनाव में उतरे हैं. सभी दल इस कोशिश में है कि उसे उम्मीदवार बनाया जाए जिसे जनता पसंद करती हो न की नाराज हो.
सूत्रों की माने तो अक्टूबर महीने की शुरुवात में बीजेपी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है. इससे पहले पार्टी के आलाकमान नेता विधायकों के काम और उनकी लोकप्रियता पर मंथन करेंगे. जिसके बाद उनके नाम पर मुहर लगाई जाएगी. बिहार विधानसभा की 243 सीटों में सबसे ज्यादा सीट जीतना NDA अपना टारगेट बनाया है. इस बार NDA में सीट बंटवारे को लेकर 2010 में हुए चुनाव को आधार बनाया जा सकता है. हालांकि, 2015 में जदयू के राजद के साथ चुनाव लड़ने के बाद कई सीटों के अदलाबदली होने की संभावना है. यह भी पढ़ें:- Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में महागठबंधन के बाद अब NDA में भी बड़ी दरार! सीटों को लेकर LJP अड़ी, चिराग छोड़ सकते हैं मोदी और नीतीश का साथ.
गौरतलब हो कि बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए साल 2015 हुए चुनाव में राजद और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था. जिसके कारण बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था. तब राजद, जदयू, कांग्रेस महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी. आरजेडी को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं थीं. जबकि एनडीए को 58 सीटें हीं मिली. हालांकि लालू यादव की पार्टी राजद के साथ खटपट होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार चलाना शुरू किया.