जम्मू और कश्मीर में लंबे समय से विधानसभा चुनाव कराने की मांग उठ रही है, लेकिन अब यह इंतजार खत्म होने वाला है. विधानसभा चुनाव जल्द ही हो सकते हैं और इसके संकेत मिलने लगे हैं.
हाल ही में चुनाव आयोग ने अधिकारियों को उनके गृह जिलों में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं. यह चुनाव से पहले आमतौर पर किया जाता है. इसी तरह के निर्देश महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के मुख्य सचिवों को भी जारी किए गए हैं. इन राज्यों में भी इस वर्ष के अंत तक चुनाव संपन्न होंगे.
जम्मू और कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे, जब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद यह गठबंधन सरकार गिर गई थी.
इसके बाद जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया, जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित कर दिया गया. नई परिसीमन के तहत विधानसभा सीटों की संख्या भी बढ़ा दी गई.
चुनाव में देरी होने के कारण, प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता नई दिल्ली में चुनाव आयोग से मिले, हालांकि चुनाव कराने और नए मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है. अब केवल अंतिम तिथियों की घोषणा बाकी है.
आम जनता और राजनीतिक दलों की नजरें अब चुनाव आयोग की तरफ हैं, जो जल्द ही जम्मू और कश्मीर में चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा. इस चुनाव के परिणाम राज्य की राजनीतिक स्थिति को नया आकार देंगे और आने वाले समय के लिए नए दिशा-निर्देश तय करेंगे.