जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म: मोदी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी शेहला रशीद
शेहला रशीद (Photo Credit- Facebook)

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को मोदी सरकार ने खत्म करने का फैसला किया है. गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने संकल्प और राज्य के पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पेश किया. प्रस्ताव के अनुसार, जम्मू और कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा. इसमें जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा.

केंद्र सरकार के इस फैसले का कई राजनीतिक दल विरोध कर कर रहे हैं. मोदी सरकार के इस फैसले का शाह फैसल की पार्टी जुड़ीं शेहला रशीद (Shehla Rashid) ने भी विरोध किया. शेहला रशीद ने कहा कि हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. सरकार को गवर्नर मान लेने और संविधान सभा की जगह विधानसभा को रखने का फैसला संविधान के साथ धोखा है.

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सरकार के फैसले को SC में चुनौती-

शेहला रशीद ने इस संबंध में एक के बाद एक कई ट्वीट किया. शेहला ने लिखा भारत ने कश्मीर को एक ब्लैक होल में बदल दिया है. सामान्य जीवन को ऑफ ट्रैक कर दिया है. स्थिति पर कोई स्पष्टता नहीं, सरकार से स्थानीय लोगों के लिए कोई सलाहकार या संचार नहीं है, चारों ओर घबराहट, अटकलें और अफवाहें हैं. फोन और इंटरनेट बंद हैं.

शेहला ने ट्वीट किया कश्मीर से बाहर रहने वाले लोग अपने रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. माताएं जिनकी डिलीवरी की तारीखें नजदीक हैं वे बेहद डरी और आशंकित हैं. व्यापारियों और कर्मचारियों को पता नहीं है कि उन्हें कल काम पर जाना है या नहीं! मुख्यधारा के नेताओं को स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है और उनके घरों के बाहर बलों की तैनाती है.

ऐसा करके, सत्ता पक्ष अपने समर्थकों को यह विश्वास दिलाना चाहता है कि वे कुछ महान काम कर रहे हैं. हकीकत में यह शासन, सुरक्षा और खुफिया तंत्र की भारी विफलता है जो AFSPA और आधा मिलियन से अधिक सैनिकों के बावजूद मोदी सरकार गैर-स्थानीय लोगों को कश्मीर में नहीं बना सकती है. किसी और से अधिक, बीजेपी समर्थकों को यह समझने की आवश्यकता है कि यह वर्तमान सरकार की नीति और सुरक्षा विफलता है.

पर्यटकों को कश्मीर से हटा दिया गया था जैसे कि वे गैर-नागरिक हों. गैर-स्थानीय छात्रों को घर जाने के लिए मजबूर किया गया. कश्मीर की हालत देख दिल टूट गया है. इस तरह से शेख अब्दुल्ला के 1953 के कार्यकाल के बाद से कश्मीर में नेतृत्व नष्ट हो गया है. यहां तक कि हमारे औपचारिक प्रमुख, राज्यपाल को भी अंधेरे में रखा जा रहा है. दुनिया के सभी हिस्सों में कश्मीरी लोग डरे हुए हैं.