
यूरोपीय आयोग ने अमेरिका की दिग्गज बहुराष्ट्रीय टेक कंपनियों एप्पल और मेटा पर जुर्माना लगाया है. आयोग ने दोनों कंपनियों को ईयू के डिजिटल मार्केट्स एक्ट का उल्लंघन करने का दोषी माना है.यूरोपीय आयोग ने एप्पल पर 50 करोड़ और मार्क जकरबर्ग की कंपनी मेटा पर 20 करोड़ यूरो का जुर्माना ठोका है. दोनों कंपनियों को यूरोपीय संघ के डिजिटल मार्केट्स एक्ट (डीएमए) का अलग-अलग तरीके से उल्लंघन का दोषी माना गया. एप्पल पर डीएमए की "एंटी स्टीयरिंग" धारा को तोड़ने का आरोप लगाया गया है. आयोग के मुताबिक, कंपनी ने ऐप बनाने वालों को ग्राहकों को ये सूचित करने मौका नहीं दिया कि एप्पल के ऐप स्टोर के बाहर भी सस्ते विकल्प मौजूद हैं.
ईयू की एक्जीयूटिव शाखा, यूरोपीय आयोग ने मेटा पर अपने ग्राहकों को कम पर्सनल डेटा के साथ सर्विसेज चुनने का विकल्प न देने का दोषी ठहराया. आयोग के मुताबिक मेटा ने यूजर्स को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर विज्ञापन देखने या ऐड फ्री पेड सर्विस चुनने के लिए बाध्य किया.
यूरोपीय आयोग को डीएमए के उल्लंघन के इस मामले में मार्च में ही फैसला करना था. लेकिन अमेरिका और यूरोप के बीच ट्रांस अटलांटिक ट्रेड वॉर न भड़क जाए, इस आशंका के चलते फैसले में देरी हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि ब्रसेल्स के बनाए नियम कायदे अमेरिकी कंपनियों पर असर डालते हैं.
क्या कहता है ईयू का डिजिटल मार्केट्स एक्ट (डीएमए)
यूरोपीय संघ का डीएमए, ग्राहकों और कारोबारियों को बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ ज्यादा अधिकार देता है. इस एक्ट को एक तरह से चौकीदार भी कहा जाता है. डीएमए का मुख्य मकसद, बड़ी कंपनियों के एकाधिकार को रोकना और ग्राहकों या यूजर्स को अधिक विकल्प और फैसला लेने की आजादी देना है. एक्ट यह भी पक्का करता है कि स्टार्ट अप और छोटी कंपनियों के लिए बाजार में जगह बनाना आसान हो.
डीएमए के कुछ अहम नियम कहते हैं कि यूजर्स चाहें तो पहले से इंस्टॉल ऐप हटा सकते हैं. कानून, कंपनियों को इस बात के लिए बाध्य करता है कि वह बताएं कि वे कैसे डेटा जमा कर रही हैं. इसके तहत ऐप डिवेलपरों को भी थर्ड पार्टी पेमेंट सिस्टम इस्तेमाल करने का अधिकार मिलना चाहिए. एक्ट, कंपनियों को अपने ही प्रोडक्ट्स को अनुचित तरीके से बढ़ावा देने से भी रोकता है.
यूरोपीय संघ में डीएमए मार्च 2024 से लागू है. डीएमए का उल्लंघन करने पर कंपनी पर वैश्विक आय का 10 फीसदी जुर्माना तक लगाया जा सकता है. ज्यादा बार कानून तोड़ने वाली कंपनियों पर पेनल्टी 20 फीसदी तक लगाई जा सकती है. कानून में जररूत पड़ने पर बिजनेस मॉडल में बदलाव करने के लिए बाध्य करना भी शामिल है.
फैसले के बाद भी यूरोपीय आयोग और कंपनियां आमने सामने
यूरोपीय आयोग में डिजिटल संप्रभुता विभाग की उपाध्यक्ष हेना विर्ककुनेनन के एक बयान के मुताबिक, डीएमए "ग्राहकों को इस बात का पूरा अधिकार देता है कि उनके डेटा कब और कैसे ऑनलाइन इस्तेमाल किया जाएगा, और यह कारोबार को अपने ग्राहकों के साथ मुक्त संवाद का मौका भी देता है."
एप्पल और मेटा पर लगाए जुर्माने का बाद विर्ककुनेन ने कहा, "आज किया गया फैसला बताता है कि एप्पल और मेटा ने अपने यूजर्स से चुनाव की आजादी को छीना है और उन्हें अपना व्यवहार बदलने की जरूरत है."
बड़ी कंपनियों पर एंटी ट्रस्ट के मामले में लगने वाले अरबों डॉलर के जुर्माने से यह रकम काफी कम है. लेकिन फिर भी इसे एक झटके की तरह देखा जा रहा है. दोनों अमेरिकी कंपनियों ने जुर्माने के खिलाफ शिकायत की है. एप्पल ने आयोग पर आरोप लगाया कि वह आईफोन बनाने वाली कंपनी को "अनुचित तरीके से निशाना" बना रहा है. कंपनी के मुताबिक, उसने "लाखों घंटे इंजीनियरिंग में खर्च कर और दर्जनों चेंज कर इस कानून के साथ चलने वाले बदलाव किए हैं."
मेटा के चीफ ग्लोबल अफसर जोएल कैप्लान ने एक बयान में कहा, "कमीशन, सफल अमेरिकी कारोबारों को विकलांग बनाने की कोशिश कर रहा है और चीनी व यूरोपीय कंपनियों को एक दूसरे स्टैंडर्ड के तहत ऑपरेट करने दे रहा है."