2019 चुनावी साल है और देश में इस समय सियासी पारा गरमाया हुआ है. हर किसी की जुबां पर 2019 लोकसभा चुनावों की ही चर्चा है. हर गल्ली और नुक्कड़ पर लोकसभा चुनाव को लेकर ही बातचीत हो रही हैं. इस बीच कई सर्वे एजंसियों और चैनलों ने चुनावों को लेकर अनुमान भी लगाए हैं. ज्यादातर अनुमानों के अनुसार अगले आम चुनावों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होगा.
सर्वे के अनुसान ना ही एनडीए और ना ही यूपीए 272 का जादुई आंकड़ा छू पाएगी. एनडीए 230-240 के बीच सिमट जाएगी तो वहीं यूपीए 200 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएंगे. ऐसे में ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि 2019 में खिचड़ी सरकार बनेगी. हालांकि, असली स्थिति नतीजे सामने आने के बाद ही पता चलेगी. वैसे इतिहास गवाह है कि पूर्व में गठबंधन सरकारों ने कई अहम फैसले लिए हैं. आइये ऐसे ही कुछ फैसलों पर नजर डाल लेते हैं.
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1991 नरसिम्हा राव सरकार:
साल 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी मगर जादुई आंकड़े से दूर थी. कांग्रेस ने लेफ्ट पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई थी और नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने थे. राव ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया था. मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को पेश किया. इस बजट में ही देश में आर्थिक सुधारों की घोषणा की गई थी और मनमोहन सिंह ने नई औद्योगिक नीति की घोषणा की थी जिसकी वजह से भारतीय अर्थ व्यवस्था की काया पलट हुई.
1998 अटल सरकार:
साल 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कई दलों के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे. इसी दौरान भारत ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कर अपनी ताकत की पहचान दुनिया को कराई थी. वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान ही देश में संचार क्रांति भी आई. तमाम विरोध के बावजूद उन्होंने 1999 में दिल्ली-लाहौर बस सेवा भी शुरू की.
मनमोहन सिंह सरकार:
अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पीएम की कुर्सी पर मनमोहन सिंह काबिज हुए. मनमोहन सिंह ने 10 सालों तक गठबंधन की सरकार चलाई और कई अहम फैसले लिए. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ही भारत-अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील हुई. 2004 से 2014 के बीच देश में हुए सभी आर्थिक सुधारों का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को जाता है. भारत में आधार कार्ड योजना लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जाता है.
अब ये तो वक्त ही बताएगा की 2019 में जनता पूर्ण बहुमत की सरकार बनती हैं या फिर खिचड़ी सरकार. मगर एक बात तो तय है कि गठबंधन सरकार के दौरान भी मजूब नेतृत्व बड़े फैसले लेने में सक्षम है. वैसे मौजूदा मोदी सरकार को भी कई पार्टियों का समर्थन हासिल है.