
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में एक बयान जारी कर युवाओं के वर्क-लाइफ बैलेंस पर जोर दिया और भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए. उन्होंने 90 घंटे काम करने की सलाह को अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि क्या ऐसे लोग इंसान की जगह रोबोट की बात कर रहे हैं?
युवाओं को रोबोट न समझें
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि इंसान केवल काम करने की मशीन नहीं है, बल्कि वह जज़्बात और परिवार के साथ जीने की इच्छा भी रखता है. उन्होंने कहा कि जो लोग युवाओं को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं, वे शायद भूल रहे हैं कि मनोरंजन और फिल्म उद्योग भी अर्थव्यवस्था में अरबों रुपये का योगदान देता है.
आर्थिक प्रगति का लाभ किसे?
अखिलेश ने भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का लाभ कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रहेगा, तो फिर 30 ट्रिलियन या 100 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था भी आम जनता के लिए बेकार है. उन्होंने कहा कि सच्चा आर्थिक न्याय वही है जिसमें समृद्धि का लाभ सभी को समान रूप से मिले, लेकिन भाजपा सरकार में यह संभव नहीं है.
प्रिय यंग एम्प्लॉयीज़
जो लोग एम्प्लॉयीज़ को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं क्योंकि इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है।
और आम जनता का सवाल ये भी है कि जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का फ़ायदा कुछ गिने चुने लोगों…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 3, 2025
वर्क-लाइफ बैलेंस पर जोर
अखिलेश यादव ने कहा कि युवाओं को सिर्फ़ हाथ-पैर और शरीर की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उनके दिल और मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्व दिया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि काम की मात्रा (क्वांटिटी) से अधिक गुणवत्ता (क्वॉलिटी) मायने रखती है और यह जरूरी है कि युवा दिल लगाकर काम करें, न कि केवल अधिक घंटे काम करने के दबाव में रहें.
भ्रष्टाचार कम हो, तो अर्थव्यवस्था बढ़े
भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि यदि सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को आधा भी कम कर दिया जाए, तो अर्थव्यवस्था अपने आप दोगुनी हो जाएगी. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘जिसकी नाव में छेद हो, उसकी तैरने की सलाह का कोई मतलब नहीं.’
अखिलेश यादव का यह बयान न केवल युवाओं की परेशानियों को उजागर करता है, बल्कि सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी सवाल खड़े करता है. उन्होंने वर्क-लाइफ बैलेंस, मनोरंजन के महत्व और आर्थिक न्याय को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की और यह संदेश दिया कि बेहतर कार्यसंस्कृति ही देश के विकास का असली आधार हो सकती है.