मध्य प्रदेश के सियासी उलटफेर से महाराष्ट्र में भी बढ़ी कांग्रेस की टेंशन, संजय निरुपम ने दिया बड़ा बयान
संजय निरुपम (Photo Credits: IANS)

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हुए सियासी उलटफेर के बाद कांग्रेस महाराष्ट्र (Maharashtra) को लेकर भी टेंशन में दिख रही है. बुधवार को कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने बड़ा बयान दिया. संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने कहा, महाराष्ट्र की सरकार स्थिर सरकार नहीं है, तीन दलों की सरकार है और मैं इसके बारे में हमेशा कहता हूं कि ये उधार का सिंदूर लेकर सुहागन बनने वाली बात हैं, ऐसे सुहाग टिकते नहीं है. कांग्रेस को ऐसे पार्टी का हिस्सा नहीं बनना चाहिए. संजय निरुपम के बयान से साफ है कि कांग्रेस को कहीं न कहीं मध्य प्रदेश के बाद अन्य राज्यों में भी सत्ता जाने का डर सता रहा है. महाराष्ट्र में भी सरकार पर संकट के बादल आ सकते हैं. दरअसल महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार तीन दलों ( शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी) की सरकार है, तीनों पार्टियों की विचारधारा अलग-अलग है. इसी को लेकर कांग्रेस नेता संजय निरुपम असमंजस में दिख रहे हैं.

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में भले ही तीनों पार्टियां फिलहाल टिकी हुई हैं लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो तीनों पार्टियों के कई विधायक इस गठबंधन से खुश नहीं हैं. बीजेपी लगातार महाविकास अघाड़ी पर तीन पहियों वाली सरकार बोलकर निशाना साधती रही है. यह भी पढ़ें- कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे: मध्यप्रदेश में फिर एक बार बीजेपी सरकार ? क्या इस बार भी शिवराज के सर सजेगा ताज. 

क्या कहा संजय निरुपम ने-

कांग्रेस के हाथों से मध्य प्रदेश निकलता दिख रहा है वहीं दूसरी और राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भी संकट के बादल नजर आने लगे हैं. बताया जा रहा है कि राजस्थान में कांग्रेसी विधायक अपनी ही सरकार से नाखुश हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक कई विधायक सरकार से असंतुष्ट हैं क्योंकि उनकी बात पार्टी आलाकमान द्वारा सुनी जाती है. ऐसे में कांग्रेस के सामने अगर मध्य प्रदेश जैसी स्थिति राजस्थान में भी उत्पन्न हो गई तो यह एक बड़ी चुनौती होगी.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपने विधायकों को सुरक्षित करने में जुटे हैं. एक ओर बीजेपी जहां सरकार गिराने की पूरी तैयारी कर चुकी है वहीं कांग्रेस के सामने सरकार बचाने की चुनौती है. कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है सभी विधायक उनके साथ हैं. सिंधिया के साथ गए हुए विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं. यहां तक के बीजेपी के कुछ विधायक भी कांग्रेस के संपर्क में हैं.