
Prayagraj Bhim Army Workers Uproar: प्रयागराज के करछना इलाके में हुए बवाल और हिंसा के बाद पुलिस ने भीम आर्मी से जुड़े 74 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 51 लोगों को जेल भेजा जा चुका है. पुलिस का कहना है कि ये लोग हिंसा फैलाने में शामिल थे. इस मामले में भीम आर्मी के नेता और सांसद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि नीली पगड़ी पहनने से कोई भीम आर्मी का सदस्य नहीं हो जाता. उनके बयान के बाद गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के परिवारों में गुस्सा और दुख है.
परिजनों का कहना है कि चंद्रशेखर के नाम पर उनके बेटे, भाई और पति आंदोलन में गए थे, लेकिन अब जब वह जेल में हैं तो नेता खुद ही पीछे हट गए हैं.
'हर नीला साफा पहनने वाला, भीम आर्मी का कार्यकर्ता नहीं होता'
नीलमानवों द्वारा दंगे, आगजनी, तोड़फोड़ पर @BhimArmyChief साफ मुकर गया और कहा कि हर नीला साफा पहनने वाला, भीम आर्मी का कार्यकर्ता नहीं होता
सरकार को चाहिए कि इन उपद्रवियों को पकड़े, रासुका लगाएं और
हो सके तो #जाति साहित पुरा नाम सर्वजनिक किया जाए @Uppolice#WorldSocialMediaDay pic.twitter.com/jXvIiXvgb7
— 🇮🇳 गोम्स ON व्हिल🧑🦽 🇮🇳 (@GomOfficial84) June 30, 2025
'नीली पगड़ी पहनने पर बना दिया आरोपी'
गिरफ्तार लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जिनका दावा है कि वे मौके पर मौजूद ही नहीं थे. कई परिवारों ने आरोप लगाया है कि निर्दोष लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है और पुलिस ने बिना जांच के उन्हें जेल भेज दिया है. कुछ युवाओं को सिर्फ नीली पगड़ी पहनने के आधार पर आरोपी बना दिया गया है.
इन भटके हुए युवाओं का अब क्या होगा?
अब सवाल यह उठता है कि इन युवाओं का क्या होगा? इनके घरों में खाने की किल्लत है और ऊपर से इन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ऊपर से जिस नेता के लिए ये खड़े हुए थे, उसने ही इनसे मुंह मोड़ लिया है.
बवाल से पहले सोचना समझना जरूरी
इस पूरी घटना ने एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है- क्या सड़कों पर उतरने से पहले यह सोचना जरूरी नहीं है कि अगर कुछ गलत हुआ तो इनका साथ कौन देगा?