नई दिल्ली: उत्तराखंड के लोकपर्व इगास बग्वाल (Igaas Bagwal) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पौड़ी गढ़वाल से सांसद अनिल बलूनी के दिल्ली स्थित आवास पहुंचे. इस पारंपरिक पर्व को मनाने के लिए पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई प्रमुख नेता भी उपस्थित थे. पीएम मोदी ने उत्तराखंड के लोकपर्व इगास बग्वाल पूजा अर्चना की और इगास की शुभ ज्योति भी प्रज्वलित की.
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पीएम मोदी ने पहनी उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी
पीएम मोदी ने उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी पहनकर इस पर्व में हिस्सा लिया. इगास जैसे लोकपर्व हमारे सांस्कृतिक जीवन को समृद्ध बनाते हैं और हमें अपनी परंपराओं और जड़ों से जोड़ते हैं. पीएम मोदी का इस पर्व में हिस्सा लेना और इसे मनाना इस पर्व के महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने का संकेत है.
पीएम मोदी ने मनाया इगास पर्व
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi at the BJP MP from Pauri Garhwal, Anil Baluni's residence in Delhi
(Source: PMO) pic.twitter.com/NBG0ZbPs6O
— ANI (@ANI) November 11, 2024
पीएम मोदी ने दी इगास की शुभकामनाएं
पीएम मोदी ने सभी को इगास की शुभकामनाएं दी. प्रधानमंत्री ने X और किए एक पोस्ट में लिखा, "उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों सहित सभी देशवासियों को इगास पर्व की बहुत-बहुत बधाई! दिल्ली में आज मुझे भी उत्तराखंड से लोकसभा सांसद अनिल बलूनी जी के यहां इस त्योहार में शामिल होने का सौभाग्य मिला. मेरी कामना है कि यह पर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाए."
उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों सहित सभी देशवासियों को इगास पर्व की बहुत-बहुत बधाई! दिल्ली में आज मुझे भी उत्तराखंड से लोकसभा सांसद अनिल बलूनी जी के यहां इस त्योहार में शामिल होने का सौभाग्य मिला। मेरी कामना है कि यह पर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाए।@anil_baluni pic.twitter.com/KERvqmB6eA
— Narendra Modi (@narendramodi) November 11, 2024
पीएम मोदी ने आगे लिखा, "हम विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मुझे इस बात का संतोष है कि लगभग लुप्तप्राय हो चुका लोक संस्कृति से जुड़ा इगास पर्व, एक बार फिर से उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों की आस्था का केंद्र बन रहा है."
उत्तराखंड के मेरे भाई-बहनों ने इगास की परंपरा को जिस प्रकार जीवंत किया है, वो बहुत उत्साहित करने वाला है. देशभर में इस पावन पर्व को जिस बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है, वो इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. मुझे विश्वास है कि देवभूमि की यह विरासत और फलेगी-फूलेगी."
उपराष्ट्रपति और रक्षा मंत्री भी हुए इगास पर्व में शामिल
#WATCH | Vice President Jagdeep Dhankhar and Defence Minister Rajnath Singh attend the Igaas program at the BJP MP from Pauri Garhwal, Anil Baluni's residence in Delhi pic.twitter.com/KcM3ECOgYa
— ANI (@ANI) November 11, 2024
क्यों मनाया जाता है इगास बग्वाल त्योहार?
इगास बग्वाल को दिवाली के 11वें दिन उत्तराखंड में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसे "बूढ़ी दिवाली" भी कहा जाता है. यह पर्व उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा है, और इसकी अनूठी परंपराओं और सांस्कृतिक नृत्य-गान के साथ मनाया जाता है.
इगास बग्वाल सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति का प्रतीक है. दीपावली के 11 दिन बाद इस पर्व को मनाने के पीछे प्राचीन मान्यता है कि गढ़वाल में भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने का समाचार देरी से पहुंचा था, और पहाड़ के लोगों ने इस खुशी में अपनी दीपावली बाद में मनाई.
इसके अलावा, वीर योद्धा माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में तिब्बत युद्ध में विजय के बाद जब गढ़वाली सैनिक 11 दिन बाद अपने गांव लौटे, तब दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया और जीत की खुशी मनाई गई. दिवाली के ग्यारहवें दिन जब गढ़वाल के वीर सैनिकों ने विजय प्राप्त की थी, तो उस खुशी में पूरे गांव में दीप जलाए गए थे, और उसी दिन से इसे इगास बग्वाल के रूप में मनाया जाने लगा.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में झूमते लोग
हर साल इगास बग्वाल के दौरान उत्तराखंड में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं. इगास पर्व पर ढोल-दमाऊ और रणसिंग जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज सुनाई देती है, और युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई जोश और उमंग के साथ इस पर्व का आनंद उठाता है.