नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने आज (12 नवंबर) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) परिसर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की प्रतिमा का अनावरण किया. पीएम मोदी ने जेएनयू (Jawaharlal Nehru University) प्रशासन, सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा सभी को साहस और करुणा सीखाएगी. इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल (Ramesh Pokhriyal) भी उपस्थित थे. जेएनयू प्रशासन ने छात्रों को तत्काल सड़क से अवरोधक हटाने को कहा, कार्रवाई की चेतावनी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा “ मेरी कामना है कि जेएनयू में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे. ये प्रतिमा वो साहस दे, पराक्रम दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे. ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, सहानुभूति सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है.”
उन्होंने कहा “ये प्रतिमा हमें राष्ट्र के प्रति अगाध समर्पण सिखाए, प्रेम सिखाए, देश के लिए प्रगाढ़ प्रेम जो स्वामी जी के जीवन का सर्वोच्च संदेश है. ये प्रतिमा देश को एकता की दृष्टि के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी के चिंतन की प्रेरणा रहा है. ये प्रतिमा देश को युवाओं के नेतृत्व वाला विकास के विजन के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है. ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे.”
I hope his statue teaches everyone devotion and intense love towards the nation, which is supreme message of Swamiji's life. May it inspire the country for vision of oneness: PM Modi after unveiling a statue of Swami Vivekananda at JNU campus, via video conferencing https://t.co/ynFVJUVORh
— ANI (@ANI) November 12, 2020
पीएम मोदी ने आगे कहा “वो जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है. वो भारत के विश्व बंधुत्व को लेकर दुनियाभर में गए. भारत के सांस्कृतिक वैभव, विचारों, परंपराओं को उन्होंने दुनिया के सामने गौरवपूर्ण तरीके से रखा. अतीत में हमने दुनिया को क्या दिया, ये याद रखना और ये बताना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है. इसी आत्मविश्वास के बल पर हमें भविष्य पर काम करना है. भारत 21वीं सदी की दुनिया में भारत क्या योगदान देगा, ये हम सभी का दायित्व है.”
उन्होंने कहा “जब जब भारत का सामर्थ्य बढ़ा है , तब तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है. भारत की आत्मनिर्भरता में आत्मवत सर्वभूतेषु की भावना जुड़ी हुई है, पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है. आप से बेहतर ये कौन जानता है कि भारत में रिफ़ार्म को लेकर क्या बातें होती थीं. क्या भारत में गुड रिफ़ार्म को खराब राजनीति नहीं माना जाता था? तो फिर गुड रिफ़ार्म, गुड राजनीति कैसे हो गए? इसको लेकर जेएनयू के साथी ज़रूर रिसर्च करें.”
प्रधानमंत्री ने कहा “आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है. ये स्वाभाविक भी है. लेकिन फिर भी, हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं. जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है.”
उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंद के दर्शन और विचार आज भी देश के युवाओं का पथ प्रदर्शन करते हैं. दुनिया भर में लाखों लोगों के प्रेरणा का स्रोत रही, विवेकानंद जैसी महान विभूति का जन्म इस भूमि पर हुआ, इसे लेकर देश खुद को गौरवान्वित महसूस करता है. प्रधानमंत्री का हमेशा से यह कहना है कि स्वामी विवेकानंद के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने कि वे उनके जीवनकाल में थे.