SCO समिट में शामिल होने के लिए चीन जाएंगे PM मोदी, 2019 के बाद पहला दौरा

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर की यात्रा पर जाएंगे. यह उनकी 2019 के बाद पहली चीन यात्रा होगी. यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई भू-राजनीतिक बदलाव हो रहे हैं और भारत की रणनीतिक स्थिति लगातार मजबूत हो रही है.

इस यात्रा का एक खास राजनीतिक संदर्भ यह भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स देशों की आलोचना की है, खासकर रूस से तेल खरीदने और अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के प्रयासों को लेकर. ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा इस सवाल को भी जन्म देती है कि क्या भारत, चीन और रूस के साथ आर्थिक समीकरण मजबूत करने की कोशिश कर रहा है या फिर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को वैश्विक स्तर पर और मजबूत दिखाने की रणनीति अपनाई जा रही है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जताया था विरोध

गौरतलब है कि जून 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के चिंगदाओ में हुए SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था, लेकिन एक अहम दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. वह दस्तावेज़ भारत के आतंकवाद पर सख्त रुख को कमजोर कर सकता था, और उसमें हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले (जिसमें 26 लोगों की जान गई थी) का कोई ज़िक्र नहीं किया गया था. इस मतभेद के कारण SCO देशों के बीच उस बैठक में कोई संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ.

सूत्रों के अनुसार, चीन जो इस साल SCO का अध्यक्ष है और उसका 'ऑल वेदर फ्रेंड' पाकिस्तान मिलकर इस दस्तावेज में आतंकवाद के मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे थे. दस्तावेज में न तो आतंकवादी हमलों की स्पष्ट निंदा की गई, न ही भारत पर हुए पहलगाम हमले का उल्लेख किया गया. इसके उलट, दस्तावेज में बलूचिस्तान का जिक्र था, जिसे भारत के खिलाफ परोक्ष आरोप के रूप में देखा जा रहा है कि वह पाकिस्तान के इस प्रांत में अशांति फैला रहा है.