Petrol-Diesel Price: ईंधन की कीमतों में राहत, लेकिन कब तक? ऊर्जा विशेषज्ञ बोले- फिर बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश की जनता तो दिवाली का तोहफा देते हुए पेट्रोल और डीजल के एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी. इसके बाद 4 नवंबर से पेट्रोल पर 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए सस्ता हो गया. इसके साथ ही राज सरकारों ने भी पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel Price) से टैक्स घटाया जिसके बाद अब पेट्रोल-डीजल के दाम पहले से काफी कम हो गए हैं. आम जनता को इससे काफी राहत मिली है, लेकिन यह राहत ज्यादा दिन नहीं रहेगी. ऐसा मानना है ऊर्जा विशेषज्ञ का. अभी भले ईंधन (Petrol-Diesel Price) सस्ता हो गया है, लेकिन आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम फिर से बढ़ेंगे. Petrol, Diesel Price Drop: उत्पाद शुल्क और राज्यों द्वारा टैक्स में कटौती से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी गिरावट! जानें कहां-कहां मिली डबल खुशखबरी.

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा की मानें तो आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा, "यह समझना है कि हम तेल आयात करते हैं. यह एक आयातित वस्तु है. आज, हमें अपने कुल तेल उपयोग का 86 प्रतिशत आयात करना पड़ता है. तेलों की कीमतें किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं. पेट्रोल और डीजल दोनों ही नियंत्रण मुक्त वस्तुएं हैं. जुलाई 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया था और 2014 में, मोदी सरकार ने डीजल को नियंत्रण मुक्त किया."

उन्होंने कहा, जब भी मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है तो कीमतें बढ़ती हैं." अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख वजह कोरोना महामारी भी है. दूसरा कारण तेल क्षेत्र में निवेश की कमी है क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय / हरित ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही हैं. इसलिए आने वाले महीनों में कच्चा तेल और अधिक महंगा होगा. 2023 में कच्चे तेल की कीमत 100 रुपये तक बढ़ सकती है."

पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने के केंद्र सरकार के कदम के कारण के बारे में पूछे जाने पर तनेजा ने कहा, "जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ाती है, जब तेल बहुत महंगा होता है, तो सरकार उत्पाद शुल्क कम करती है. COVID के समय में तेल की खपत और बिक्री 40 प्रतिशत तक कम हो गई थी. बाद में, यह 35 प्रतिशत तक नीचे आ गई थी. जब बिक्री कम हो जाएगी, तो सरकार की आय अपने आप घट जाएगी लेकिन अब वह बिक्री पूर्व-कोविड ​​​​युग की तरह वापस आ गई है."

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने आगे कहा, "जीएसटी संग्रह आर्थिक सुधार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है. सरकार पहले की तुलना में अपेक्षाकृत आरामदायक स्थिति में है.। साथ ही, हमारी अर्थव्यवस्था डीजल पर आधारित है. अगर डीजल की कीमत बढ़ती है तो हर चीज की कीमत बढ़ जाती है. मुद्रास्फीति अधिक है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है." नरेंद्र तनेजा का मानना ​​है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा राहत मिल सके और ज्यादा पारदर्शिता आ सके.