नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) बुलाया है. यह सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा. इस सत्र में पांच बैठकें होंगी. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लिखा, "संसद का विशेष सत्र (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र) 18 से 22 सितंबर को बुलाया गया है." हालांकि, संसद के इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या होगा, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, संसद के इस विशेष सत्र में मोदी सरकार 'एक देश-एक चुनाव' पर बिल लेकर आ सकती है. एक देश एक चुनाव का सीधा सा मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. Elections in J&K: क्या 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ होंगे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने दिया जवाब.
इसके अलावा केंद्र समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) और महिला आरक्षण (Women's Reservation) पर बिल पेश कर सकता है. अगर ये 3 बिल सरकार लाती है तो विपक्ष के लिए मुश्किलें बहत बढ़ जाएंगे. ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि संभवतः संसद को पुरानी से नई इमारत में शिफ्ट करने के उदेश्य से इस विशेष सत्र को बुलाया गया है. एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि संसद के विशेष सत्र की शुरुआत संसद की पुरानी इमारत में हो सकती है और अंत नई इमारत में.
सरकार ने अभी तक विशेष सत्र के एजेंडा पर चुप्पी साधी हुई है लेकिन इसे लेकर कई तरह की कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि ये सिर्फ कयास हैं.
एक देश-एक चुनाव कैसे होगा
देश में एक देश-एक चुनाव (One Nation- One Elections) को लेकर बहस काफी समय से चल रही है. सरकार इसे लागू कराना चाहती है तो वहीं कई राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने भी राज्यसभा में चर्चा के दौरान एक देश-एक चुनाव को समय की जरूरत बताया था. इसके लिए सरकार को संविधान के अनुच्छेद- 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा.
इसके बाद सरकार लोकसभा चुनाव के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव करवा सकती है. ऐसे में सरकार को कुछ राज्य सरकारों का कार्यकाल बढ़ाना होगा जबकि कुछ का समय से पहले खत्म करना होगा. इसके अलावा सरकार के पास विकल्प है कि चनाव दो फेज में करवाए जाएं. पहले फेज में लोकसभा के साथ कुछ विधानसभा चुनाव आर दूसरे फेज में अन्य राज्यों के विधानसभा के चुनाव.
समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है. आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा.
भारत में अभी शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग कानून हैं. UCC से ये अलग-अलग कानून खत्म हो जाएंगे और सभी के लिए एक सामान कानून होगा.
महिला आरक्षण
महिला आरक्षण का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई (33 फीसदी) को आरक्षित करना है. महिला आरक्षण का मुद्दा स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही चला आ रहा है. आजादी के बाद के दशकों में, राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में कोई सुधार नहीं हुआ और संख्या खराब बनी रही. अब सरकार इस पर बिल लाकर राजनीति में महिलाओं के अधिकार को सुनिश्चित कर सकती है.