ऑपरेशन सिंदूर: क्यों दिखाया गया 1.40 मिनट का वीडियो? पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को भारत की 2 बेटियों ने दिया बुलंद संदेश

"अब और नहीं..." 7 मई की सुबह विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग में जब पर्दे पर 1.40 मिनट की एक छोटी लेकिन बेहद असरदार फिल्म शुरू हुई, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं और दिल में गर्व की लहर दौड़ गई. यह कोई आम डॉक्यूमेंट्री नहीं थी, बल्कि भारत की पीड़ा, प्रतिरोध और प्रतिशोध का सजीव चित्रण था.

फिल्म की शुरुआत और उसका संदेश

फिल्म की शुरुआत एक अंग्रेजी संदेश से होती है: "जब दुनिया नई सदी को गले लगा रही है, भारत सीमा पार आतंकवाद से लगातार लड़ रहा है." इसके साथ ही स्क्रीन पर एक-एक कर उभरने लगते हैं वे जख्म, जो भारत ने पिछले दो दशकों में सहे हैं.

आतंक के जख्म जो ताजा कर दिए गए

  • 2001 संसद हमला: लोकतंत्र के मंदिर में गोलियां। 9 मौतें, 18 घायल.

  • 2002 अक्षरधाम हमला: गुजरात में खून-खराबा। 31 मौतें, 80 घायल.

  • 2008 मुंबई हमला: ताज होटल से उठता धुआं, 164 मौतें, 300 घायल.

  • 2016 उरी हमला: 20 जवान शहीद, 21 घायल.

  • 2019 पुलवामा हमला: 40 जवान शहीद, बस के परखच्चे उड़ते दिखे.

  • 2025 पहलगाम हमला: पर्यटकों पर फायरिंग, 26 मौतें, 17 घायल.

फिल्म का अंत एक बेहद प्रभावशाली संदेश के साथ होता है 

"पिछले दशक में 350+ नागरिकों की जान गई, 800 घायल, 600 जवान शहीद, 1400 से ज्यादा घायल... अब और नहीं.

NO MORE.

OPERATION SINDOOR.

ऑपरेशन सिंदूर: नाम और संदेश

इस ऑपरेशन का नाम "सिंदूर" केवल एक सैन्य कोड नहीं है, यह भावनाओं से जुड़ा प्रतीक है.
संसद से लेकर पहलगाम तक आतंकियों ने न जाने कितनी सुहागनों का सिंदूर छीन लिया. यही कारण है कि इस ऑपरेशन को 'सिंदूर' नाम दिया गया, जो हर भारतीय महिला के स्वाभिमान, त्याग और साहस का प्रतीक भी है.

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस ऑपरेशन को यह नाम सुझाया था — यह एक भावनात्मक, राजनीतिक और सैन्य संदेश था कि भारत अब आतंक के हर जख्म का हिसाब करेगा.

2 बेटियों की मौजूदगी: प्रतीक और प्रतिशोध

ब्रीफिंग में मौजूद थीं दो महिला अधिकारी:

  • कर्नल सोफिया कुरैशी (सेना)

  • विंग कमांडर व्योमिका (वायुसेना)

इन दोनों की मौजूदगी महज सैन्य अधिकारी के रूप में नहीं थी, बल्कि एक प्रतीक के रूप में थी. वे भारत की "बेटियां" थीं जो अब चुप नहीं रहेंगी. कर्नल सोफिया की मौजूदगी पहलगाम हमले में धर्म पूछकर की गई हत्याओं के जवाब के रूप में देखी गई. यह साफ संदेश था कि भारत की महिलाएं सिर्फ सहने के लिए नहीं हैं — वे जवाब देना भी जानती हैं.

कूटनीति और सैन्य शक्ति का संतुलन

ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी की मौजूदगी यह स्पष्ट कर रही थी कि भारत सिर्फ हथियार से नहीं, राजनयिक स्तर पर भी निर्णायक कदम उठा रहा है. उन्होंने स्पष्ट कहा- "भारत ने सीमापार आतंकवाद का जवाब देने और उसे रोकने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है."

इस बयान से न सिर्फ पाकिस्तान को सीधा संदेश गया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह बता दिया गया कि भारत अब कोई भी हमला चुपचाप नहीं सहेगा.

एयरस्ट्राइक और 100 किमी अंदर तक घुसपैठ

भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 100 किलोमीटर अंदर तक घुसकर नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. यह सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि सर्जिकल, रणनीतिक और भावनात्मक युद्ध का हिस्सा था — एक ऐसा वार जो हर भारतीय के दिल को सुकून दे गया.

 हर आतंकी हमले का जवाब अब तय है

ऑपरेशन सिंदूर, 1.40 मिनट की फिल्म, दो बेटियां और विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग — ये सब मिलकर एक ही बात कहते हैं- "अब और नहीं".  भारत ने अपने खोए हुए सिंदूर का बदला ले लिया है और यह शुरुआत है. हर हमले का जवाब अब तय है.

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