नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) देश में सबसे लोकप्रिय रिटायरमेंट निवेश विकल्पों में से एक है. इसमें निवेश करने पर न सिर्फ आपको लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिलता है, बल्कि टैक्स बेनिफिट्स का फायदा भी मिलता है. हालांकि, कई बार अचानक जरूरत पड़ने पर लोग अपने एनपीएस खाते से पैसा निकालना चाहते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है, कि एनपीएस से पैसे की आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) कब और किन शर्तों पर की जा सकती है.
एनपीएस निकासी नियम
सबसे पहले यह समझना जरूरी है, कि एनपीएस के टियर-I (Tier-I) और टियर-II (Tier-II) अकाउंट होते हैं. टियर-I अकाउंट खास तौर पर रिटायरमेंट के लिए बनाया गया है, और इसमें पैसे निकालने के लिए कुछ सख्त नियम होते हैं. जबकि टियर-II अकाउंट ज्यादा फ्लेक्सिबल है, और इसमें से कभी भी फुल या आंशिक निकासी की जा सकती है. लेकिन टियर-I अकाउंट से निकासी केवल आपकी खुद की जमा राशि (Self-Contribution) से ही की जा सकती है. आपके नियोक्ता (Employer) का योगदान और उस पर मिलने वाला रिटर्न इसमें शामिल नहीं होता है.
इस नियम का मतलब तीन बातों से समझा जा सकता है. पहला, नए टैक्स रेजीम (New Tax Regime) में नियोक्ता का योगदान बेसिक सैलरी का 14% तक टैक्स छूट के लिए मान्य होता है, लेकिन इस हिस्से से आप आंशिक निकासी नहीं कर सकते है. दूसरा, अगर आप रिटायरमेंट से पहले पैसा निकालने की सोच रहे हैं, तो आपके टियर-I अकाउंट में आपकी खुद की जमा राशि होना जरूरी है. तीसरा, अगर आपको कभी भी पैसों की जरूरत पड़ सकती है, तो टियर-II अकाउंट बेहतर है, क्योंकि उसमें निकासी पर कोई रोक-टोक नहीं होती है.
कितनी बार और कितना पैसा निकाल सकते हैं निवेशक?
एनपीएस ट्रस्ट के मुताबिक, कोई भी निवेशक तब तक आंशिक निकासी नहीं कर सकता है जब तक उसने कम से कम तीन साल तक एनपीएस में सब्सक्राइबर के रूप में निवेश न किया हो. यानी शुरुआत के तीन साल तक खाते से पैसा निकालने की अनुमति नहीं होती है. इसके अलावा, पूरे निवेश काल में केवल तीन बार ही आंशिक निकासी की जा सकती है, और हर बार अपनी जमा राशि का अधिकतम 25% तक ही पैसा निकाला जा सकता है. वहीं दो आंशिक निकासी के बीच आपके अंशदान का केवल 25% ही निकाला जा सकता है.
उदाहरण के तौर पर, अगर आपने अपने टियर-I अकाउंट में 15 लाख रुपये जमा किए हैं और आपके नियोक्ता ने 20 लाख रुपये जमा किए हैं, तो आप केवल अपनी जमा राशि का 25% यानी 3.75 लाख रुपये ही निकाल सकते हैं. नियोक्ता का योगदान और उस पर मिला ब्याज निकासी में शामिल नहीं होगा.
कब निकाल सकते हैं पैसा
अब सवाल यह है, कि आखिर किन परिस्थितियों में एनपीएस से आंशिक निकासी की जा सकती है. इसके लिए पीएफआरडीए (PFRDA) ने कुछ खास शर्तें तय की हैं. इनमें बच्चों की उच्च शिक्षा और शादी, खुद के या जीवनसाथी के नाम पर घर खरीदना या बनवाना, गंभीर बीमारियों का इलाज, दुर्घटना से जुड़ी चिकित्सकीय ज़रूरतें, स्किल डेवलपमेंट या री-स्किलिंग (Re-Skilling) के लिए खर्च, और नया व्यवसाय या स्टार्टअप (Startup) शुरू करने के लिए पूंजी जुटाना शामिल है.
गंभीर बीमारियों में भी निकासी का विकल्प
बीमारियों के मामले में भी एनपीएस के तहत आंशिक निकासी की अनुमति दी गई है. इसमें कैंसर, किडनी फेलियर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कोमा, टोटल ब्लाइंडनेस, पैरालिसिस, मेजर ऑर्गन ट्रांसप्लांट, हार्ट वॉल्व सर्जरी जैसी कुल 14 गंभीर बीमारियां शामिल की गई हैं. इन परिस्थितियों में निवेशक खुद, अपने जीवनसाथी, बच्चों या माता-पिता के इलाज के लिए पैसे निकाल सकते हैं.
कुल मिलाकर कहा जाए तो एनपीएस सिर्फ रिटायरमेंट फंड तैयार करने का जरिया नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर यह आपके लिए सुरक्षा कवच भी साबित हो सकता है. हालांकि, नियमों के मुताबिक निकासी की सीमा तय है, इसलिए निवेशकों को अपनी योजनाओं के हिसाब से ही योगदान करना चाहिए.
अगर आपको लगता है कि भविष्य में अचानक पैसे की जरूरत पड़ सकती है, तो टियर-I के साथ-साथ टियर-II अकाउंट में भी निवेश करना आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है.













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