नई दिल्ली: कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने शनिवार को जानकारी दी कि अब किसानों द्वारा पराली जलाना अब अपराध नहीं माना जाएगा। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की भी शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें 29 नवंबर को संसद कूच को स्थगित करने की जानकारी दी गई. इसके अलावा कृषि मंत्री तोमर ने किसानों से एक बार फिर घर जाने की अपील की, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कृषि कानून वापसी के दौरान किसानों से अपील कर चुके हैं.
कृषि मंत्री ने कहा कि, किसानों की मांगों को मान लिया है इसलिए उन्हें अब आंदोलन खत्म कर वापस घर चले जाना चाहिए. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दस दिसंबर 2015 को फसल अवशेषों पर जलाने का प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं पराली जलाने पर कानूनी तौर पर कार्रवाई भी की जाती थी. अभी तक पराली जलाते पकड़े जाने पर दो एकड़ भूमि तक 2,500 रुपये, दो से पांच एकड़ भूमि तक 5,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था. यह भी पढ़े: Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर, पराली की 4,189 घटनाओं से राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़े हालात
हालांकि एक तरफ सरकार किसानों की मांगे मान रही है तो वहीं किसान भी अब रणनीति को लेकर नर्मी दिखाने लगे हैं, यहीं कारण है कि किसानों ने अपना संसद कूच स्थगित करना पड़ा. दूसरी ओर किसानों ने 29 नवंबर को होने वाले 'संसद मार्च' को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। इसके अलावा किसानों ने साफ कर दिया है कि, वह प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र के जवाब का इंतजार करेंगे. इसके बाद 4 दिसंबर को अगली बैठक कर आगे की रूप रेखा तय करेंगे.
बैठक खत्म होने के बाद एसकेएम ने कहा कि, लोकतंत्र में यह चुनी हुई सरकार का कर्तव्य है कि वह विरोध करने वाले किसानों से परामर्श करे और विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करे. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बारे में प्रधानमंत्री की घोषणा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद मोर्चा ने संसद के लिए ट्रैक्टर मार्च को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है.