राम मंदिर के गर्भगृह में एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका, अफवाहों पर ना दें ध्यान! ट्रस्ट ने झूठी खबरों का किया खंडन

बारिश के मौसम में अयोध्या के राम मंदिर की छत से पानी टपकने के मामले को लेकर हंगामा मचा हुआ है. राम मंदिर के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए जा रहे थे. इसी बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम मंदिर में बारिश के दौरान छत से पानी टपकने की खबरों का खंडन किया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सफाई देते कहा कि गर्भगृह जहां भगवान रामलला विराजमान है, वहां एक भी बूंद पानी छत से  नही टपका है और न ही कहीं से पानी का गर्भगृह में प्रवेश हुआ है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आगे कहा कि गर्भगृह के आगे पूर्व में गूढ़मण्डप है. वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात भूतल से लगभग 60 फीट ऊंचा घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी. इस मंडप को अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं. द्वितीय तल पर पिलर निर्माण चल रहा है.

सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा कि ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट कर सतह में छुपाईं जाती है.प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है, अतः जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश किया, और कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा.यह प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है.

जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था. उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा. प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा, फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा.

मन्दिर व परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का उत्तम प्रबंध किया गया है, जिसका कार्य प्रगति पर है. पूरे परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है. परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर रखने के लिये रिचार्ज पिट्स का निर्माण किया जा रहा है.

ट्रस्ट ने कहा कि मन्दिर निर्माण कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L & T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की यशस्वी परम्परा के वाहक श्री सीबी सोमपुराजी, श्री आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है, अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है.

उत्तर भारत में लोहा उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है. इसी कारण सब स्थान पर यथेष्ट जानकारी का अभाव है. श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का यह प्रयास है कि सही जानकारी समय से भक्तों को मिलती रहे.

ट्रस्ट ने कहा कि आप सबसे निवेदन है कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण से संबंधी किसी भी जानकारी के लिए केवल श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकृत संवाद माध्यमों से आई जानकारी पर ही विश्वास करें.