नयी दिल्ली, 16 अप्रैल : नीति आयोग (NITI Aayog) ने वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के साथ विचार विमर्श करते हुये सार्वजनिक क्षेत्र के उन दो बैंकों (Bank) के नाम को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है जिनका चालू वित्त वर्ष के दौरान निजीकरण किया जाना है. सरकार की विनिवेश प्रक्रिया के तहत यह कदम उठाया जायेगा. आयोग को वित्त वर्ष 2021-22 में निजीकरण के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी (Insurance Company) के चयन की जिम्मेदारी दी गयी है. इसकी घोषणा फरवरी में पेश बजट में की गयी है. सूत्रों ने कहा कि इस संदर्भ में काम जारी है. इस मामले में नीति आयोग की तरफ से एक-दो बैठकें बुलायी गयी हैं. उसने कहा कि निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कई पहलुओं पर गौर किये जाने की जरूरत है. इसमें मानव संसाधन प्रबंधन, वित्तीय सेहत आदि शामिल हैं.
नीति आयोग की सिफारिश के बाद उस पर मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाला विनिवेश पर गठित सचिवों का मुख्य समूह (कोर ग्रुप) विचार करेगा. इस उच्च स्तरीय समूह के अन्य सदस्य आर्थिक मामलो के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉरपोरेट कार्य मामलों के सचिव, विधि सचिव, लोक उपक्रम विभाग के सचिव, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव हैं. यह भी पढ़ें : कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच Remdesivir की किल्लत, घंटों लाइन में लगने के बाद मिल रहा सिर्फ 1 इंजेक्शन
सचिवों के कोर समूह से मंजूरी मिलने के बाद नामों की अंतिम सूची मंजूरी के लिये वैकल्पिक व्यवस्था को जाएगी और अंत में यह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में जाएगी. मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद नियामकीय स्तर पर बदलाव किये जाएंगे ताकि निजीकरण का रास्ता सुगम हो. पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘‘जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, उनके कर्मचारियों के हितों का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाएगा. उनके वेतन या स्केल अथव पेंशन समेत सभी चीजों को ध्यान में रखा जाएगा.’’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाना शामिल हैं.