नई दिल्ली. निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के चार दोषियों में से किसी ने अभी तक तिहाड़ जेल अधिकारियों को सूचित नहीं किया है कि वे अपने परिवार से अंतिम बार कब मिलना चाहेंगे. हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार की ओर से आज दी गई दलीलों के बाद 22 जनवरी को चारों को फांसी दिये जाने की संभावना कम ही है. जेल अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि चारों में से किसी पर भी अभी परिजनों से मिलने पर रोक नहीं है. एक अधिकारी ने बताया कि दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह अपनी पत्नी से फोन पर बात करता है लेकिन वह नवंबर, 2019 के बाद उससे मिलने नहीं आयी है. कारण पूछने पर अक्षय ने जेल अधिकारियों को बताया कि वह तभी आएगी जब वह बुलाएगा.
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘उन्हें परिवार से मिलने की अनुमति है और अभी तक परिजन से मिलने पर कोई रोक नहीं है.’’इस मामले में मौत की सजा पाने वाले चार दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश कुमार और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जानी थी. लेकिन दिल्ली सरकार ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि चूंकि इनमें से एक की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है, ऐसे में उन्हें फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता. यह भी पढ़े-निर्भया गैंगरेप केस: चार में से दो दोषियों की क्यूरेटिव पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
सत्र अदालत द्वारा सात जनवरी को मौत का वारंट जारी होने के बाद से चारों को अलग-अलग कोठरियों में रखा गया है. जेल अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रत्येक कोठरी के पास चौबीसों घंटे तीन-चार गार्ड होते हैं और वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. कोठरी में कोई पंखा नहीं है. उन्हें अकेले रखा गया है, उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं है. हम उन्हें आपस में भी बात करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.’’उन्होंने बताया कि कोठरी के बाहर खुली जगह है जहां वह टहल सकते हैं, व्यायाम या योग कर सकते हैं. डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक लगातार चारों से बात कर रहे हैं ताकि उनका दिमाग सही रहे.