निर्भया केस: दादा कल्लू और परदादा लक्ष्मण राम ने भी नहीं किया था ये कारनामा, पवन जल्लाद ने बनाया नया रिकॉर्ड
पवन जल्लाद के नाम नया रिकॉर्ड ( फोटो क्रेडिट- ANI )

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस (Delhi Gangrape Case 2012) के चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को शुक्रवार सुबह 5.30 पर फांसी पर लटका दिया गया. इसी के साथ निर्भया को इंसाफ सात साल आखिरकर मिल गया. फांसी की सजा के बाद देश के कई इलाकों में जश्न का माहौल है. लोग इसे इंसाफ की जीत बता रहे हैं. वहीं एक भी संदेश लोगों के बीच पहुंचा है कि इस तरह के घिनौनी करतूत करने वाले लोगों को यही सजा मिलेगी. चारों दोषियों को तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे पवन जल्लाद ने चारों को फांसी पर लटका दिया.

निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाने के बाद पवन जल्लाद ने कहा, जिंदगी में पहली बार चार फांसी देकर मैं खुश हूं. इस दिन के लिए मैं इंतजार करते-करते बूढ़ा हो गया. फांसी की सजा के साथ पवन जल्लाद ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. दरअसल पवन जल्लाद के नाम तिहाड़ जले में एक साथ चार लोगों को फांसी देने का कारनामा जुड़ गया है.

पवन जल्लाद का परिवार का फांसी देना पुस्तैनी काम रहा है. अपने इसी परिवारिक काम को पवन जल्लाद आगे बढ़ा रहे हैं. पवन के पर-दादा लक्ष्मण, दादा कालू जल्लाद और पिता मम्मू जल्लाद भी अदालत जिसे फांसी की सजा सुनती उसे फांसी देने का काम करते थे. पवन जल्लाद ने इससे पहले अपने दादा का सहयोग पांच फांसियों के दौरान की थी. जहां उन्होंने फांसी लगाने की बारीकियां दादा कालू राम जल्लाद से सीखी थीं. यह भी पढ़ें:- देश की बेटी निर्भया को 7 साल और 3 महीने बाद मिला इंसाफ, किसी ने दिखाया विक्ट्री का निशाना तो कहीं बटी मिठाईयां.

बता दें कि पवन का परिवार कई पीढ़ियों से जल्लाद का काम करता आ रहा है. पवन के पर-दादा लक्ष्मण, दादा कालू जल्लाद और पिता मम्मू जल्लाद भी फांसी की सजा को क्रियान्वित करने का काम किया करते थे. पवन ने चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाकर आजाद भारत में तिहाड़ जेल में हुई फांसियों को लेकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है. यहां एक ही अपराध के लिए चार दोषियों को एक साथ फांसी देने का यह रिकॉर्ड अब पवन के नाम है.

ऐसा नहीं ही है कि देश में पहली बार जब चार दोषियों को एक साथ फांसी की सजा दी गई हो. महाराष्ट्र के पुणे की यरवदा जेल में 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर मामले में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी.