CJI बोबडे ने निर्भया केस से खुद को किया अलग, दोषी की पुनर्विचार याचिका पर कल नई बेंच करेगी सुनवाई
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे ने निर्भया गैंगरेप व हत्याकांड मामले में अक्षय सिंह की मौत की सजा पर पुन:विचार की मांग करने वाली याचिका से खुद को अलग कर लिया है. दरअसल, सीजेआई बोबडे के भतीजे ने केस में निर्भया की ओर से पैरवी की थी, इसलिए उन्होंने बेंच से खुद को अलग कर लिया है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे (CJI Sharad Arvind Bobde) ने निर्भया गैंगरेप व हत्याकांड मामले (Nirbhaya Gangrape and Murder Case) में अक्षय सिंह की मौत की सजा पर पुन:विचार की मांग करने वाली याचिका से खुद को अलग कर लिया है. दरअसल, सीजेआई बोबडे के भतीजे ने केस में निर्भया की ओर से पैरवी की थी, इसलिए उन्होंने बेंच से खुद को अलग कर लिया है. सीजेआई बोबडे ने मंगलवार को कहा कि वह बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे नई बेंच का गठन करेंगे. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि दोषी अक्षय की पुन:विचार याचिका पर नई बेंच बुधवार को विचार करेगी.
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे. निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि मैं उम्मीद कर रही थी कि पुनर्विचार याचिका आज खारिज कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जैसे हमने सात साल इंतजार किया है, हम एक दिन और इंतजार करेंगे. उम्मीद है कि पुनर्विचार याचिका बुधवार को खारिज कर दी जाएगी और उन्हें जल्द ही फांसी दे दी जाएगी. यह भी पढ़ें- लखनऊ की शूटर वर्तिका सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह को खून से लिखा पत्र, कहा- मैं देना चाहती हूं निर्भया के दोषियों को फांसी.
बता दें कि दोषी अक्षय ने इस मामले में उसके मृत्युदंड को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के साल 2017 के फैसले की समीक्षा करने की मांग की है. मंगलवार को दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने बहस शुरू करते हुए कहा कि यह मामला राजनीति और मीडिया के दबाव से प्रभावित रहा है और दोषी के साथ घोर अन्याय हो चुका है.
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने गैंगरेप किया और उस पर नृशंस हमला किया था और उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था. उसकी 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.