Nipah Virus: लौट आया है निपाह का कहर, कितना खतरनाक है ये वायरस; जानें इसके बारे में सब कुछ

निपाह वायरस कम संक्रामक माना जाता है, लेकिन इसे अधिक घातक माना जाता है. यानी इसकी संक्रमण दर कम है लेकिन मृत्यु दर ज्यादा है. इसलिए इस वायरस के प्रति अधिक सजग होने की जरूरत है.

Nipah Virus | File Photo

Nipah Virus: केरल में एक बार फिर निपाह वायरस फैलने की खबर है. कोझिकोड जिले में बुखार से दो मरीजों की मौत के बाद दक्षिणी राज्य केरल में एक बार फिर निपाह वायरस फैलने की आशंका है. कोझिकोड जिले में बुखार से दो मरीजों की मौत हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि निपाह वायरस के कारण केरल के कोझिकोड जिले में दो लोगों की मौत हुई है. केरल स्वास्थ्य विभाग ने दो लोगों की मौत के बाद सोमवार को कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के संबंध में जिला स्तरीय अलर्ट जारी किया है. Egg Freezing: भारत की महिलाएं अचानक क्यों करवाने लगी हैं एग फ्रीजिंग? डिटेल्स में समझें क्यों हो रहा है ऐसा.

कैसे फैलता है ये वायरस?

निपाह वायरस का सोर्स भी जानवर को ही माना जाता है. माना जाता है कि चमगादड़ के जरिए ये वायरस इंसानों तक फैलता है. हालांकि, माना ये भी जाता है कि ये वार्स सुअर, कुत्ते, बिल्ली, घोड़े और संभवतः भेड़ से भी फैल सकता है. अगर निपाह वायरस से कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया है तो वो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है. एक संक्रमित की वजह से कई लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं.

कितना खतरनाक है निपाह वायरस?

निपाह वायरस कम संक्रामक माना जाता है, लेकिन इसे अधिक घातक माना जाता है. यानी इसकी संक्रमण दर कम है लेकिन मृत्यु दर ज्यादा है. इसलिए इस वायरस के प्रति अधिक सजग होने की जरूरत है. रिपोर्ट्स के अनुसार इसकी मृत्यु दर 45 से 70 फीसदी तक हो सकती है.

निपाह वायरस के लक्षण

निपाह वायरस से संक्रमित शख्स में तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ,गले में खराश, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. गंभीर स्थिति में संक्रमित व्यक्ति इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है और 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है.

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि वायरस के संपर्क में आने के 14 दिनों के भीतर इसके लक्षण दिखने लग जाते हैं. शुरुआत के दिनों में बुखार और सिरदर्द के साथ फ्लू जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं. समय के साथ इसके गंभीर लक्षण दिखते लगते हैं. भ्रम और भटकाव जैसी समस्याओं के साथ दौरे पड़ने, बेहोशी और श्वसन संबंधी समस्या होने का भी खतरा हो सकता है.

क्या है इलाज

निपाह का पहला मामला 1999 में देखने को मिला था. इसकी घातक वायरस के इलाज की कोई दवा है ना उसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन. फिलहाल निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. कुछ बातों का ध्यान रखकर इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है. चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें. किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर सही इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.

केरल में पहले भी आ चुके हैं निपाह के केस

कोझिकोड जिले में 2018 और 2021 में भी निपाह वायरस से मौत के मामले सामने आए थे. दक्षिण भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 19 मई 2018 को कोझिकोड में सामने आया था.

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