National Science Day 2023: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से जुड़ी बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए
National Science Day 2023 (Photo: File Image)

कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, कोरोना काल में भारत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया तो देश के कोने से कोने से ऐसी प्रतिभाएं निकल कर सामने आईं, जिन्होंने इस महामारी से जंग लड़ने के लिए अपने स्तर पर एक से बढ़ कर एक हथियार बनाए. इन्हीं में सबसे बड़ा हथियार रहा कोविड वैक्सीन. आज भारत की वैक्सीन की मांग लगभग विश्व के हर कोने से आ रही है. लेकिन ये सब संभव हुआ तो विज्ञान और तकनीकी से.

आज के समय में भारत विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं, जो स्वास्थ्य क्षेत्र से लेकर रक्षा और आम आदमी की हर जरूरत को पूरी कर रहा है. 28 फरवरी को राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर दुनिया की फार्मेसी की बात करना तो बनता है. बताते चलें कि आज ही के दिन 1928 में सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने रमन इफेक्ट की खोज की थी. इस खोज के लिए सर सीवी रमन को 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह भी पढ़ें : National Science Day 2023: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नेशनल मीडिया सेंटर में Global Science for Global Welfare का अनावरण किया

इस बारे में डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का कहना है कि कोविड 19 का मुकाबला करने के लिए विजय अभियान, को ऐसे नवाचारों और स्टार्टअप्स के साथ शुरू किया गया जिन्होंने कोविड-19 चुनौतियों का समाधान करने वाली कई प्रौद्योगिकियों, नैदानिकी और औषधियों, कीटाणुनाशकों और सैनिटाइजर, वेंटिलेटर और चिकित्सा उपकरणों, पीपीई का नेतृत्व किया और महामारी को नियंत्रित करने के लिए, उसके इलाज और प्रबंधन के लिए विज्ञान को समाधान में शामिल किया. यह सब इन कुछ महीनों में अनुसंधान और विकास संस्थानों, शिक्षा और उद्योग के उद्देश्य, तालमेल, सहयोग और सहकार्य के असाधारण साझाकरण के कारण संभव हो पाया है.

विज्ञान के वो क्षेत्र जिनमें हाल ही में मिली कामयाबी

राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) ने देश में उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एच पी सी) को तेजी से बढ़ावा दिया ताकि शिक्षा, शोधकर्ताओं, एमएसएमई और तेल की खोज, बाढ़ पूर्वानुमान, जीनोमिक्स और दवा खोज में स्टार्टअप्स की बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके.

अगर बात अंतरिक्ष के क्षेत्र की करें तो भारत के सबसे बड़े अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान यानी भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संगठन आज की तिथि तक 109 स्पेसक्राफ्ट मिशन को सफल बना चुका है. 77 मिशन लॉन्च कर चुका है 10 स्‍टूडेंट सेटेलाइट प्रक्षेपित कर चुका है. यही नहीं 33 देशों के लिए 319 विदेशी सेटेलाइट लॉन्च कर चुका है.

वहीं 1958 में स्थापित डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने अग्नि, पृथ्‍वी जैसी मिसाइलें दीं, तेजस जैसे लड़ाकू विमान, मल्‍टी बैरल रॉकेट लॉन्‍चर पिनाका, आकाश जैसे एयर डिफेंस सिस्टम समेत कई रक्षा उपकरण देश को दिए. और तो और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ऐंड इंजीनियरर्स (जीआरएसई) द्वारा निर्मित आईएनएस कवरत्ती पहला 90% स्वदेशी युद्धपोत है. इससे पहले जितने भी युद्धपोत बने उनमें प्रयोग की जाने वाली स्टील यानी इस्पात विदेश से आती थी, इस युद्धपोत में प्रयोग इस्पात भारत की कंपनी स्‍टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा मुहैया करायी गई.

ये महज उदाहरण मात्र नहीं हैं, बल्कि ये उपकरण इस बात के गवाह हैं कि भारत अपनी विज्ञान क्षमता का लोहा पूरे विश्‍व में मनवा चुका है.

2021 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम है, “भविष्य का STI: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव”.

पिछले कुछ वर्षों के थीम

2020 में - विज्ञान में महिलाएं

2019 में - लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग

2018 में - दीर्घकालिक भविष्‍य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

2017 में - दिव्यांग जनों के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

2016 में - मेक इन इंडिया: एस एंड टी ड्रिवेन इनोवेशन

आज के दिन हम भारत के महान वैज्ञानिकों को भी याद करते हैं, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव जाति के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए न्योछावर कर दिया. भारत के कुछ महान वैज्ञानिकों के नाम-

आर्यभट्ट

होमी जहांगीर भाभा

एपीजे अब्दुल कलाम

जगदीश चंद्र बोस

श्रीनिवास रामानुजन

सुब्रमण्यिन चंद्रशेखर

हर गोबिंद खुराना