एमवीए का 'भूमि-घोटाले' को लेकर हल्ला बोल, सीएम शिंदे के इस्तीफे की मांग
सीएम एकनाथ शिंदे (Photo Credits : Twitter)

नागपुर, 20 दिसम्बर : महाराष्ट्र विधानमंडल में मंगलवार को विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) पर कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की. शिवसेना-यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पटोले, विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार और अंबादास दानवे जैसे शीर्ष नेता और अन्य ने शिंदे को पद छोड़ने के लिए कहा.

उन्होंने बताया कि जब शिंदे शहरी विकास मंत्री थे, तब उन्होंने नागपुर में लगभग 100 करोड़ रुपये की जमीन दी थी, जो गरीबों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए थी, लेकिन शिंदे ने कुछ बिल्डरों को बमुश्किल 2 करोड़ रुपये की औने-पौने दर पर वह जमीन दे दी.

एमवीए ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा परियोजना पर यथास्थिति का आदेश देने के बाद मामला अचानक महत्वपूर्ण हो गया, अलग-अलग नेताओं और विधायकों ने विधानमंडल की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया और नारे लगाए. पटोले ने कहा- सीएम को एक मिनट के लिए भी पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए. जब इतना बड़ा जमीन घोटाला है तो वह पद पर कैसे रह सकते हैं? एमवीए सरकार के दौरान अनिल देशमुख और संजय राठौड़ जैसे तत्कालीन मंत्रियों ने आरोप लगते ही इस्तीफा दे दिया था. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने डब्ल्यूईएफ के लैंगिक अंतराल आकलन पर सवाल उठाया

एक बड़े झटके में, एचसी ने शिंदे के आदेश पर सवाल उठाया (जब वह तत्कालीन एमवीए शासन में संबंधित मंत्री थे), नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को अप्रैल 2021 में लगभग पांच एकड़ जमीन 16 निजी बिल्डरों को सौंपने का निर्देश दिया, हालांकि मामला विचाराधीन था. राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने और यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए, अदालत 4 जनवरी को मामले की आगे की सुनवाई करेगी.

इससे पहले मंगलवार को, कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, छगना भुजबल, दिलीप वाल्से-पाटिल, आदित्य ठाकरे, अनिल परब और अन्य एमवीए नेताओं ने इस मुद्दे पर आम रणनीति तैयार करने के लिए मुलाकात की थी. दूसरे दिन, विधानमंडल परिसर '50 खोखे, बिल्कुल ठीक' के नारों से गुंजायमान रहा, इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी पर राज्य के प्रतीकों का अपमान करने के लिए भी हमला बोला गया और महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमावर्ती गांवों में मराठी भाषी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की.