समाजवादी नेता के करीबी मुख्तार अब्बास नकवी को पहले चुनाव में मिली थी हार
Mukhtar Abbas Naqvi (img: tw)

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर : साल था 1998. बारहवीं लोकसभा के चुनाव का रिजल्ट आना था. देश की जनता की निगाहें टिकी थी मतगणना पर. जैसे-जैसे रिजल्ट आने शुरू हुए तो सरकार बनाने की कवायद भी तेज होने लगी. इस चुनाव में किसी पार्टी को तो बहुमत नहीं मिल पाया, लेकिन कुछ नेता ऐसे भी थे, जो पहली बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इन्हीं में से एक हैं भाजपा के कद्दावर नेता मुख्तार अब्बास नकवी. वह देश के ऐसे मुस्लिम नेता हैं, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. इतना ही नहीं, वह तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यमंत्री भी बनें.

दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को यूपी के प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा प्रयागराज से की. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आगे की पढ़ाई की. यह भी पढ़ें : Ban on Firecracker: दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के मद्देनजर पटाखों पर प्रतिबंध लगाया, BJP ने वैज्ञानिक प्रमाण मांगा

कॉलेज के दौरान ही वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए. साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान उन्हें भी गिरफ्तार किया गया और वे प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद रहे. उनकी गिनती इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राजनारायण के करीबियों में होती थी. हालांकि, छात्र राजनीति के बाद जब उनकी राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री हुई तो वह भाजपा में शामिल हो गए.

मुख्तार अब्बास नकवी ने पहली बार चुनाव जनता पार्टी (सेक्युलर) के उम्मीदवार के रूप में लड़ा था, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद वह जब भाजपा में शामिल हुए तो उन्होंने मऊ जिले की सदर विधानसभा सीट से चुनावी ताल ठोकी, मगर उन्हें यहां भी हार मिली. इसके बाद उन्हें साल 1993 के विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा.

साल 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें यूपी की रामपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. उन्होंने रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए. ऐसा पहली बार हुआ था कि भाजपा का कोई मुस्लिम चेहरा लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद पहुंचा था. इसके बाद वे तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री भी बनाए गए.

अपने राजनीतिक करियर के दौरान नकवी 2010 से 2016 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे. इसके अलावा वे 2016 में झारखंड से राज्यसभा के सदस्य नियुक्त हुए. साल 2014 में वे मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री भी बनाए गए. 12 जुलाई 2016 को नजमा हेपतुल्ला के पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2019 में उन्हें फिर से कैबिनेट में शामिल किया गया. हालांकि, जुलाई 2022 को मुख्तार अब्बास नकवी ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. नकवी ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान तीन किताबें भी लिखीं, जिनमें स्याह (1991), दंगा (1998) और वैशाली (2008) शामिल है. नकवी ने 8 जून 1983 को सीमा नकवी से शादी की और उनका एक बेटा भी है.