मुंबई: महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों की हड़ताल लगातार 15वें दिन भी जारी है. एमएसआरटीसी कर्मचारियों पर उद्धव सरकार की अपील का भी कोई असर नहीं दिख रहा है. हालात अब यह है कि राज्य की सरकारी बस सेवा पूरी तरह से ठप पड़ गई है. हड़ताल के चलते एमएसआरटीसीव् (Maharashtra State Road Transport Corporation) के सभी 250 डिपो पर बसों का संचालन बंद है. वेतन भुगतान के लिए एमएसआरटीसी ने सरकार से धनराशि मांगी: मंत्री
एमएसआरटीसी के कर्मचारी, घाटे में चल रहे निगम के राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर 28 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं. हालांकि राज्य सरकार ने इस हड़ताल को गैरकानूनी करार दिया है. इसमें प्रदेशभर से शामिल हुए 542 और कर्मचारियों को बुधवार को निलंबित कर दिया गया. एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को 376 एमएसआरटीसी कर्मचारियों को निलंबित किया गया था और इसी के साथ ही अभी तक निलंबित किए गए कर्मियों की संख्या बढ़कर 918 हो गयी है. बुधवार को जिन 542 कर्मचारियों को निलंबित किया गया वे 63 बस डिपो के कर्मचारी हैं.
निगम ने बुधवार को कुछ हड़ताली कर्मचारियों और उनके यूनियन के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की. कोर्ट ने यूनियन नेताओं और कर्मचारियों को शुक्रवार तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया तथा विषय की अगली सुनवाई 15 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी.
निगम ने दावा किया है कि यूनियन ने हाईकोर्ट के उस शुरुआती आदेश का उल्लंघन किया है जिसके जरिये उनसे हड़ताल जारी रखने से रोका गया था और इस तरह उन्होंने अदालत की अवमानना की है. इससे पहले राज्य भर से आए एमएसआरटीसी के सैकड़ों कर्मचारी मुंबई में जमा हुए और अपनी मांग को लेकर आजाद मैदान में एक रैली की.
उधर, हड़ताल से चिंतिति राज्य सरकार के परिवहन मंत्री अनिल परब ने कर्मचारियों से अपनी हड़ताल वापस लेने की अपील की. वहीं, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह कहते हुए एमएसआरटीसी कर्मचारियों से हड़ताल खत्म करने की अपील की कि इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ता है. उन्होंने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों से समस्याओं के समाधान के लिए सरकार के प्रयास में सहयोग करने की भी अपील की है. उन्होंने एमएसआरटीसी के कर्मचारियों को राजनीतिक लाभ के लिए उकसाने को लेकर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि यह राजनीति करने का समय नहीं है. (एजेंसी इनपुट के साथ)