Monkeypox Cases: मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है- डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 27 जुलाई : मंकीपॉक्स के प्रकोप से अब तक लगभग 75 देशों में 16,000 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं और इस वायरस की वजह से पांच लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि इस प्रकोप को रोका जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अधिकारी ने यह बात कही है. डब्ल्यूएचओ द्वारा संक्रमण को अंतरराष्ट्रीय चिंता के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया जा चुका है. यह वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी का उच्चतम स्तर है. मंकीपॉक्स पर टेक्निकल लीड डॉ. रोसमंड लेविस ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, "इस अलर्ट का कारण यह है कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम जल्द से जल्द इस प्रकोप को रोक सकें."

जेनेवा में एक प्रेस वार्ता में, लेविस ने कहा कि 'सही समूहों में सही रणनीतियां' प्रकोप को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि संक्रामक रोग को पीएचईआईसी घोषित करने से 'समन्वय, देशों और सभी हितधारकों के सहयोग के साथ-साथ वैश्विक एकजुटता में वृद्धि होगी'. उन्होंने उन्होंने चेताते हुए कहा कि 'समय बीत रहा है और ऐसा करने के लिए हम सभी को एक साथ आने की जरूरत है'. वर्तमान में मंकीपॉक्स वायरस युवा वयस्कों और औसत आयु (लगभग 37 वर्ष) वाले उन पुरुषों में फैलता दिखाई दे रहा है, जो दूसरे पुरुषों के साथ यौन संबंध बना रहे हैं. इसके अलावा यह अधिक कमजोर वर्गो या अति संवेदनशील लोगों में भी फैल सकता है, खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.

लेविस ने बीमारी होने पर किसी व्यक्ति के प्रति भेदभाव और कलंक जैसी स्थिति से बचने की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया, क्योंकि इससे बीमारी से छुटकारा पाने में मुश्किल होगी. उन्होंने कहा, "फिलहाल प्रकोप अभी भी ऐसे पुरुषों के समूहों में केंद्रित है, जो कुछ देशों में पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं, लेकिन हर जगह ऐसा नहीं है." लेविस ने आगे कहा, "यह भी सराहना करना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि कलंक और भेदभाव बहुत हानिकारक और किसी भी वायरस के रूप में खतरनाक हो सकता है." लेविस ने यह भी कहा कि फिलहाल 'बड़े पैमाने पर टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है', लेकिन डब्ल्यूएचओ ने एक्सपोजर के बाद टीकाकरण की सिफारिश की थी.

उन्होंने कहा, "डब्ल्यूएचओ ने उन लोगों के लिए अंतरिम मार्गदर्शन टीकाकरण की सिफारिश की है, जिन्हें एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस के साथ-साथ एक्सपोजर से पहले निवारक टीके का खतरा हो सकता है." इस बीच, डब्ल्यूएचओ मंकीपॉक्स के टीकों के लिए एक वैश्विक समन्वय तंत्र निर्धारित करने के लिए भी काम कर रहा है. उन्होंने बीमारी से जल्द छुटकारा पाने के तौर पर सलाह देते हुए कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार, एक देश द्वारा अन्य देश और एक स्थान से दूसरे स्थान के अनुसार वैक्सीन साझा की जानी चाहिए. इसके साथ ही लेविस ने बताया कि यह वायरस सभी क्षेत्रों में समान रूप से सामने नहीं आ रहा है. लेविस ने जोर देकर कहा कि चेचक और मंकीपॉक्स निदान, टीके या चिकित्सा विज्ञान के लिए विनिर्माण क्षमता वाले देशों को उत्पादन बढ़ाना चाहिए.

देशों और निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ काम करना चाहिए कि इन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य जरूरतों, एकजुटता और उन देशों को उचित कीमत पर उपलब्ध कराया जाए, जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है. लेविस ने बताया कि फिलहाल करीब 1.64 करोड़ टीके थोक में उपलब्ध थे, लेकिन उन्हें समाप्त करने की आवश्यकता भी है. वर्तमान में टीके बनाने वाले देश डेनमार्क, जापान और अमेरिका हैं. हालांकि लेविस ने टीकाकरण के बावजूद प्रतिरक्षा बनने में कुछ समय लगने की बात भी कही. उन्होंने कहा, "शरीर द्वारा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न होने में कई सप्ताह लगते हैं."

इस प्रकार, मंकीपॉक्स से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए वर्तमान सिफारिश उन्हें आइसोलेट करने और ठीक होने तक यात्रा नहीं करने की है. इसके अलावा संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने वालों को अपने शरीर के तापमान की जांच करानी चाहिए और 9 से 21 दिनों की अवधि के लिए संभावित अन्य लक्षणों की निगरानी करनी चाहिए. मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति (यौन संपर्क सहित) के साथ लंबे समय तक व्यक्तिगत संपर्क या उनके दूषित सामान के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप होता है. लक्षणों में आमतौर पर शरीर पर कहीं भी दाने, धब्बे, अल्सर, या छाले जैसे घाव देखने को मिल रहे हैं. यह लक्षण अक्सर जननांग क्षेत्र में देखे जा सकते हैं और इसके साथ ही इसकी चपेट में आने वाले को बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना या थकावट की शिकायत भी हो सकती है.