नई दिल्ली, 18 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को एक मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, यूपी पुलिस को 20 जुलाई तक कार्रवाई नहीं करने का आदेशमामले में जमानत मिलने के बाद उन्हें दूसरे मामले में रिमांड पर ले लिया जाता है और यह दुष्चक्र जारी है. इसके साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि बुधवार को अगली सुनवाई तक उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज 5 प्राथमिकी में कोई 'प्रारंभिक कार्रवाई' न की जाए. यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक जुबैर की गिरफ्तारी की आलोचना की
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए. एस. बोपन्ना ने जुबैर द्वारा यूपी पुलिस की ओर से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को निर्धारित.सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, "सभी प्राथमिकी की सामग्री समान प्रतीत होती है.लेकिन समस्या दुष्चक्र को लेकर है। उन्हें एक मामले में अंतरिम जमानत मिलती है, लेकिन किसी अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया जाता है."वकील वृंदा ग्रोवर द्वारा मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग के बाद जुबैर की याचिका पर विचार किया गया.
वकील ग्रोवर ने तर्क दिया कि अभी तक यूपी में छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं - दो हाथरस में और एक-एक लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और सीतापुर में. उन्होंने कहा कि जैसे ही शीर्ष अदालत ने सीतापुर मामले में उनके मुवक्किल को राहत दी, लखीमपुर खीरी के मामले में एक और वारंट आ आया।.वकील ने बताया कि पिछले हफ्ते दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली की प्राथमिकी में उन्हें जमानत दे दी थी.ग्रोवर ने कहा कि सभी प्राथमिकी पुराने ट्वीट्स पर आधारित हैं और पुलिस अब कह रही है कि वे बड़ी साजिश और फंडिंग की जांच कर रही हैं.उन्होंने कहा कि ये सभी मुद्दे दिल्ली में दर्ज प्राथमिकी में पहले से ही शामिल हैं और उनके मुवक्किल के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को पहले ही जब्त कर लिया गया है.
उन्होंने आगे कहा, "इस तरह के लक्ष्यीकरण (टारगेटिंग) को समाप्त होना चाहिए। यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है."दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने कहा, "चूंकि याचिका आज बोर्ड पर नहीं है, हम रजिस्ट्री को 20 जुलाई को मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं. इस बीच, हम निर्देश देते हैं कि अदालत की अनुमति के बिना 5 प्राथमिकी में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी प्रारंभिक कार्रवाई न की जाए."
जुबैर ने अपने ट्वीट पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज छह प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और प्राथमिकी के संबंध में अंतरिम जमानत भी मांगी थी. याचिका में इन मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को भी चुनौती दी गई है.सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को जुबैर को उनके खिलाफ सीतापुर में दर्ज मामले में दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी थी.
शीर्ष अदालत ने मामले को 7 सितंबर को अंतिम निपटान के लिए सूचीबद्ध किया है. पीठ ने कहा है कि राज्य सरकार जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय मांग रही है और सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब और उसके बाद 2 सप्ताह के भीतर पत्युत्तर (वादी के विषय पत्र का उत्तर जो प्रतिवादी ने दिया हो) दाखिल करने की अनुमति दी जाती है. पीठ ने कहा, "सीतापुर प्राथमिकी मामले में अंतरिम जमानत अगले आदेश तक जारी रहेगी. मामले को 7 सितंबर को अंतिम निपटान के लिए सूचीबद्ध किया जाता है."