कोयंबटूर, 9 मई: कोयंबटूर जिले के सिंघनल्लूर की रहने वाली अजिता, एक ट्रांसजेंडर छात्रा है जिसने हाल ही में 12वीं की परीक्षा 373 अंकों के साथ उत्तीर्ण की. वडकोवाई क्षेत्र के कॉर्पोरेशन हायर सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद, अजिता का सपना था मनोविज्ञान में स्नातक (B.Sc. Psychology) की पढ़ाई करना. इस सपने को पूरा करने के लिए उसने कई कॉलेजों के दरवाजे खटखटाए, लेकिन हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी. हैरानी की बात यह है कि महिला कॉलेजों ने भी उसे दाखिला देने से मना कर दिया.
कॉलेजों ने किया इनकार: इस घटना के बाद अजिता ने बताया, "मैंने वडकोवाई के कॉर्पोरेशन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की है और अब B.Sc. Psychology में आगे बढ़ना चाहती थी. लेकिन कोयंबटूर के कई कॉलेजों में दाखिले के लिए आवेदन करने पर, मुझे ट्रांसजेंडर होने के कारण मना कर दिया गया. कॉलेज प्रशासन का कहना था कि इससे अन्य छात्रों को परेशानी हो सकती है. यहाँ तक कि वडकोवाई के एक महिला कॉलेज ने भी मुझे यह कहकर मना कर दिया कि मैं अन्य महिलाओं को नुकसान पहुँचा सकती हूँ. उन्होंने यह भी पूछा कि मैं किस शौचालय का उपयोग करूंगी?"
छात्रा की पीड़ा: अजिता ने आगे कहा, "कई कॉलेजों के चक्कर काटने के बाद, आखिरकार मुझे काउंटर मिल क्षेत्र के एक निजी कॉलेज में दाखिला मिल गया है. लेकिन यह बहुत दुख की बात है कि आज भी हमारे समाज में ट्रांसजेंडर लोगों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और ट्रांसजेंडर लोगों की उच्च शिक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए."
शिक्षा के अधिकार पर सवाल: अजिता का मामला ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों और भेदभाव को उजागर करता है. शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों को आज भी इस अधिकार से वंचित रखा जाता है. समाज को अपनी सोच बदलने और ट्रांसजेंडर लोगों को समान अवसर प्रदान करने की ज़रूरत है ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.