नागपुर (महाराष्ट्र), 8 दिसंबर : एक दिन पहले हुए राजनीतिक विवाद से परेशान उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उनकी सत्तारूढ़ सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एपी) ने शुक्रवार को अपने दागी पूर्व मंत्री नवाब मलिक को एक तरह से 'खारिज' कर दिया. मलिक, जो 18 महीने तक जेल में रहे और मेडिकल जमानत पर रिहा हुए, गुरुवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में भाग लेने के लिए नागपुर पहुंचे. विधानसभा में वह सत्ता पक्ष की सीट पर जाकर बैठ गये. इस पर सीएम एकनाथ शिंदे सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस एक-दूसरे पर भड़क गये. नाराज फडणवीस ने गुरुवार शाम को अजित पवार पर निशाना साधा और मलिक के सत्ता पक्ष में शामिल होने पर कड़ी आपत्ति जताई, लेकिन शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन, उन्हें (मलिक को) सत्ता पक्ष की पिछली पंक्ति में बैठे देखा गया, जिससे उनकी भौहें तन गईं.
राज्य राकांपा (एपी) के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा, “विधायक नवाब मलिक कई वर्षों से हमारे वरिष्ठ सहयोगी रहे हैं… उनका उन घटनाओं (एनसीपी विभाजन) से कोई लेना-देना नहीं था जो बीच की अवधि में हुई थीं (जब वह जेल में थे). 'हमने उनके साथ कोई राजनीतिक चर्चा नहीं की है.'' अपनी पार्टी के कई नेताओं की मलिक से मुलाकात और बधाई का जिक्र करते हुए, तटकरे ने दावा किया कि चिकित्सा आधार पर उन्हें जमानत मिलने के बाद, “हम उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए पुराने सहयोगियों के रूप में मिले थे, और विधानसभा में आने के बाद, यह स्वाभाविक था कि वह पुराने परिचितों से बातचीत करते और उनसे मिलते हैं. यह भी पढ़ें : Mahua Moitra Expelled From The Lok Sabha: महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द, TMC नेता बोलीं- मैंने अडाणी ग्रुप का मुद्दा उठाया था
जैसे-जैसे यह मुद्दा गरमाया और सत्तारूढ़ महायुति सरकार को शर्मिंदा होना पड़ा, यह पता चला है कि राकांपा (एपी) के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के आज दिन में फडणवीस से मिलने और इस पर चर्चा करने की संभावना है. राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, सीएम शिंदे ने मलिक के अजित पवार गुट के समर्थन में उतरने और सत्ता पक्ष की पिछली पंक्ति में बैठने को भी उतनी ही गंभीर से लिया है, क्योंकि इस पर विपक्षी कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) ने हंगामा किया है. कई सत्तारूढ़ शिवसेना और भाजपा विधायकों ने भी दागी मलिक के कथित तौर पर सत्तारूढ़ गुट में शामिल होने पर चिंता व्यक्त की है, और इसके दीर्घकालिक राजनीतिक नतीजों को लेकर चिंतित हैं, खासकर तब जब शिंदे और फडणवीस दोनों ने पूर्व मंत्री (मलिक) पर अतीत में जोरदार हमला किया था.