कुंभ 2019 : माघ मेले के अलावा इन प्रसिद्ध स्थानों के कर सकते हैं दर्शन, यहां देखें पूरी डिटेल
कुंभ मेला (Photo Credits: PTI)

15 जनवरी 2019 से कुंभ मेला शुरू हो रहा है. इस बार होने वाले भव्य कुंभ में जाने के लिए श्रद्धालु बहुत उत्साहित हैं. यह मेला मकर संक्रांति के दिन शुरू होगा और महा शिवरात्री तक चलेगा. कुंभ में जाने के लिए लोग पैकेज और टेंट बुक करवा रहे हैं. कुंभ के अलावा प्रयागराज में कई ऐसे प्राचीन दार्शनिक स्थल हैं जिनके आप दर्शन कर सकते हैं. आइए आपको बताते हैं उन स्थानों के बारे में.

श्री अखिलेश्वर महादेव (Shri Saccha Akhileshwar Mahadev): इस मंदिर की नींव तेजोमयनन्दजी और सुबोधानन्द जी ने 30 अक्टूबर, 2004 को रखी गई थी. प्रयागराज में रसूलाबाद घाट के पास अखिलेश्वर महादेव मंदिर परिसर फैला हुआ है. यह मंदिर बहुत ही सुंदर है. इस पर की गई नक्काशियां देखने लायक हैं.

श्री अखिलेश्वर महादेव, (Photo Credit : Facebook)

गंगा गैलरी (Ganga Gallery): इस गैलरी की स्थापना 2010 में की गई है. यह गैलरी अपने आप में अनोखी है इसलिए इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है. गंगा गैलरी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गंगा से जुड़ी जानकारियों को एक ही छत के नीचे रोचक ढंग से उपलब्ध कराना है.

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गंगा गैलरी, (Photo Credit : Facebook )

पब्लिक लाइब्रेरी (Public Library): प्रयागराज की सबसे पुरानी लाइब्रेरी चन्द्रशेखर आजाद पार्क परिसर के अंदर मौजूद है. इसमें बहुत सारी पुरानी किताबों का संग्रह है. इस लाइब्रेरी का आर्किटेक्ट बहुत सुंदर है.

पब्लिक लाइब्रेरी, (Photo Credit : Wikimedia Commons )

इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University): यह सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. इसकी स्थापना 23 सितम्बर, 1887 को हुई थी. इसे यूनाइटेड प्राविन्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर विलियम म्योर ने बनवाया था.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय, (Photo Credit : Youtube )

विक्टोरिया स्मारक (Victoria Smarak): रानी विक्टोरिया की याद में यह स्मारक 24 मार्च, 1906 को जेम्स डिगेस ला टच ने खोला. ये स्मारक इटालियन चूना पत्थर से बना है. किसी जमाने में इस ईमारत पर रानी विक्टोरिया की मूर्ति लगी हुई थी जो आज नहीं है.

विक्टोरिया स्मारक: (Photo Credit : Wikimedia_Commons )

भारद्वाज आश्रम (Bharadwaj Ashram): यह बहुत ही प्राचीन आश्रम है. मुनि भारद्वाज यहां बच्चों को शिक्षा दिया करते थे. कहा जाता है वनवास के समय भगवान राम सीता जी के साथ यहां आए थे. मंदिर परिसर में बहुत सारे मंदिर हैं.

भारद्वाज आश्रम, (Photo Credit : Youtube)

मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Mandir): यमुना के तट पर यह मंदिर स्थित है. यहां काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्तियां हैं. इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से कुछ मांगता है उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. इसलिए इस मंदिर को मनकामेश्वर कहते हैं.

मनकामेश्वर मंदिर, (Photo Credit : Facebook)

संकटमोचन हनुमान मंदिर (Sankat Mochan Mandir): गंगाजी के किनारे यह मंदिर स्थित है. संत समर्थ गुरू रामदास जी ने यहां भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी. इसके अलावा मंदिर परिसर में और भी कई मंदिर स्थित हैं.

संकटमोचन हनुमान मंदिर, (Photo Credit : Facebook)

शंकर विमान मण्डपम (Shankar Viman Mandapam): यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है. मंदिर चार स्तम्भों पर निर्मित है. जिसमें कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी के आलावा कई देवी देवताओं की मूर्तियां हैं. मंदिर में 108 शिवलिंग भी है.

शंकर विमान मण्डपम, (Photo Credit : Twitter)

श्री वेणी माधव मंदिर (Shri Beni Madhav): पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे, तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी. प्रयागराज के बारह माधव मंदिरों में प्रसिद्ध श्री वेणी माधव जी का मंदिर दारागंज के निराला मार्ग पर स्थित है.

श्री वेणी माधव मंदिर, (Photo Credit : Facebook)

हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में 12 वर्ष के अंतराल पर कुंभ मेला लगता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इन चारों जगहों पर अमृत की बूंदें छलकी थीं. तबसे कुंभ का आयोजन किया जाता है.