फिल्म व्यवसाय में किसी एक व्यक्ति ही व्यक्ति में अभिनेता, गायक, संगीतकार, निर्माता, निर्देशक, कथाकार, पटकथाकार एवं गीतकार का होना, उसकी संपूर्णता का ऐसा मिसाल है, जो भारतीय फिल्म इतिहास में केवल किशोर कुमार ही हो सकते हैं. लेकिन इस बहुमुखी प्रतिभा वाले शख्सियत के नाम के साथ एक और बात जुड़ी हुई है, और वह है उनका ताउम्र विवादों अथवा सुर्खियों में रहना. आज 4 अगस्त को इस मल्टी टैलेंटेड किशोर कुमार जो पूरी इंडस्ट्री में किशोर दा के नाम से मशहूर रहे हैं, की 93 वीं वर्षगांठ पर उनके साथ जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक प्रसंगों पर बात करेंगे.
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में एक संभ्रांत बंगाली परिवार कुंजीलाल गंगोपाध्याय के घर में हुआ था. पिता कुंजीलाल पेशे से वकील थे, माँ गौरा देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी. परिवार में दो बड़े भाई अशोक कुमार और अनूप कुमार तथा बहन सती देवी थीं. शुरू में उनका नाम आभास कुमार गांगुली था. किशोर दा जब स्कूल में थे, बड़े भाई अशोक कुमार फिल्म इंडस्ट्री के स्थापित अभिनेता के रूप में पैर जमा चुके थे. ग्रेजुएशन करने के बाद अशोक कुमार की ख्याति और कमाई से प्रभावित हो किशोर दा भी खंडवा से मुंबई आ गये. वह कुंदनलाल सहगल से काफी प्रभावित थे. हालांकि उन्होंने कभी किसी गुरु से संगीत या गायन नहीं सीखा.
क्यों लगाया था प्रतिबंध किशोर कुमार पर इंदिरा गांधी?
किशोर दा अपनी पारिश्रमिक के लिए कोई समझौता नहीं करते थे. साल 1975-77 के आपातकाल के दौरान संजय गांधी ने किशोर दा को केंद्र सरकार के पक्ष में 20 सूत्रीय कार्यक्रम से संबंधित एक जिंगल गाना गाने की पेशकश रखी, किशोर कुमार ने इंकार कर दिया क्योंकि वहां पर उन्हें गाने की कोई पारिश्रमिक नहीं मिल रही थी. तब इंदिरा गांधी के आदेश पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री वीसी शुक्ला ने 4 मई 1976 से दूरदर्शन एवं आल इंडिया रेडियो पर किशोर दा के गानों के प्रसारण पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया. यह भी पढ़ें : जवाहिरी की हत्या से भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर असर को लेकर लोगों की आलग-अलग राय : आईएएनएस सर्वे
अमिताभ बच्चन को प्रतिबंधित करने का फैसला!
अमिताभ बच्चन जब सफलता शिखर पर थे, तब किशोर दा ने उनके लिए गाना रिकॉर्ड करने पर बैन लगा दिया था. कहते हैं कि 80 के दशक में किशोर दा ‘पलकों की छांव में’ (निर्माण एवं निर्देशन) के लिए अमिताभ बच्चन को गेस्ट रोल के लिए कास्ट करना चाहते थे, लेकिन अमिताभ बच्चन ने मना कर दिया. अमिताभ बच्चन का इंकार सुनकर किशोर दा को गुस्सा आ गया, उन्होंने फैसला कर लिया कि आइंदा बिग बी के लिए पार्श्वगायकी नहीं करेंगे. लेकिन केतन देसाई निर्देशित फिल्म तूफान के दौरान मनमोहन देसाई ने दोनों के बीच सुलह करवाई, तब किशोर दा ने फिल्म तूफान में टायटल सांग के लिए रिकॉर्डिंग की.
फटे बांस से सुरीले आवाज वाले कैसे बन गये किशोर दा
किशोर दा ऐसे पहले गायक होंगे, जिन्होंने गीत-संगीत में ना कोई गुरु रखा और ना ही वे इस लाइन में आने की उन्हें ख्वाहिश थी. एक इंटरव्यू में अशोक कुमार ने भी कहा था कि शुरू-शुरू में आभास (किशोर कुमार) की आवाज फटे बांस जैसी थी, लेकिन एक बार उसका पांव सब्जी काटने वाले हंसुए पर पड़ा, जिससे उन्हें गहरा जख्म हो गया. जख्म से बहते खून को देखकर वे तीन दिनों तक रोते रहे. एक सप्ताह के इलाज के पश्चात चमत्कार हो गया, घाव तो भरा ही साथ ही किशोर आवाज में जो फरफराहट थी खत्म हो गई.
अशोक कुमार के कारण किशोर दा की इच्छा पूरी नहीं हुई
आम इंसान की तरह किशोर दा को भी अपनी जन्मभूमि खंडवा से विशेष लगाव था. उनकी ख्वाहिश थी कि वे जीवन की अंतिम सांस खंडवा में ही लें. वह 13 अक्टूबर 1987 की तारीख थी. बड़े भाई अशोक कुमार की 76वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारियां चल रही थी. किशोर दा पत्नी लीना चंदावरकर से बातचीत में मशगूल थे. उन्होंने लीना से कहा कि वे कुछ असहज महसूस कर रहे हैं, चूंकि किशोर दा हर बात हंसी-मजाक के लहजे में करते थे, लीना उनका मंतव्य नहीं समझ सकीं. अचानक किशोर कुमार को तेज हार्ट अटैक आया, उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया. पूरी जांच करने के बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.