कोच्चि, 25 नवंबर : केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने कहा है कि अंग्रेजी भाषा में कानून बनाने से क्षेत्रीय भाषाओं के विकास को कोई नुकसान नहीं होगा. न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने बताया कि यह भारत के संविधान के तहत भी आवश्यक है, और राय दी कि अंग्रेजी में कानून बनाने से क्षेत्रीय भाषाओं के विकास को कोई नुकसान नहीं होगा.
कुरियन थॉमस के पिता न्यायमूर्ति के.टी. थॉमस सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं. कुरियन थॉमस ने कहा, "भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में संविधान द्वारा अनिवार्य रूप से अंग्रेजी में कानून बनाने से क्षेत्रीय भाषा के विकास पर कोई असर नहीं पड़ेगा. दूसरी ओर, यह राज्य के बेहतर निवेश गंतव्य के रूप में विकास क्षमता को बढ़ा सकता है." यह भी पढ़ें : राजस्थान: मतदान के दौरान कुछ जगहों पर झड़प की घटनाएं
जज ने कहा, "संविधानों और नियमों को अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित करने की आवश्यकता को दोहराने की आवश्यकता नहीं है. जब केरल जैसा राज्य दुनिया भर के लोगों को निवेश के लिए आमंत्रित करता है, तो यह असंगत होगा यदि कानून उनके लिए समझ से बाहर हो. अंग्रेजी भाषा का महत्व एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. राज्य के विकास पर विचार करते समय संकीर्ण विचारों को एक तरफ रखना होगा."
उच्च न्यायालय ने केरल टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 2016 के तहत एक याचिका पर विचार करते हुए ये टिप्पणी की, जिसमें पाया गया कि नियम केवल मलयालम में उपलब्ध थे. अदालत ने कहा, "विधायिका और नियम बनाने वाला प्राधिकारी कानून और नियमों के परिचय और पारित होने के साथ-साथ अंग्रेजी अनुवाद जारी करने के लिए बाध्य हैं. अंग्रेजी की आवश्यकता एक संवैधानिक दायित्व है और इसे टाला नहीं जा सकता."