केरल हाई कोर्ट (Photo: Wikimedia Commons)
कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया है कि पवित्र तुलसीथारा (Thulasithara) के कथित अपमान के मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की जाए. यह आदेश एक ऐसे मामले से जुड़ा है, जिसमें आरोपी अब्दुल हकीम पर हिंदू धार्मिक स्थल तुलसीथारा का अपमान करने का आरोप है. तुलसीथारा हिंदू घरों के सामने बना एक पवित्र स्थान होता है, जिसमें तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है. आरोप है कि अब्दुल हकीम ने अपने निजी अंगों के बाल निकालकर तुलसीथारा में रख दिए, जिससे हिंदू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं.
कोई भी पति दूसरे पुरुषों के साथ पत्नी की अश्लील चैटिंग बर्दाश्त नहीं कर सकता... मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फैसला.
यह मामला तब हाई कोर्ट पहुंचा, जब अलप्पुझा के रहने वाले 32 वर्षीय श्रीराज आर ए ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया और उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. श्रीराज ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को साझा किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ.
कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल
हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि अब्दुल हकीम के खिलाफ कोई केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. जस्टिस पी वी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने कहा, "तुलसीथारा हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थान है. वीडियो में अब्दुल हकीम को यह अपमानजनक कार्य करते हुए देखा जा सकता है. यह निस्संदेह हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है, फिर भी उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया?"
मानसिक स्थिति पर भी उठे सवाल
अब्दुल हकीम की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि वह गुरुवायूर मंदिर के पास एक होटल का मालिक है. उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस भी है. यदि वह वास्तव में मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उसे होटल चलाने और वाहन चलाने की अनुमति कैसे मिली?
कोर्ट का फैसला: श्रीराज को जमानत, हकीम पर हो कार्रवाई
श्रीराज ने कोर्ट में तर्क दिया कि उन्होंने सिर्फ सोशल मीडिया पर पहले से उपलब्ध वीडियो साझा किया था और असली आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. हाई कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर करते हुए पुलिस को आदेश दिया कि अब्दुल हकीम के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए.
केरल हाई कोर्ट (Photo: Wikimedia Commons)
कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया है कि पवित्र तुलसीथारा (Thulasithara) के कथित अपमान के मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की जाए. यह आदेश एक ऐसे मामले से जुड़ा है, जिसमें आरोपी अब्दुल हकीम पर हिंदू धार्मिक स्थल तुलसीथारा का अपमान करने का आरोप है. तुलसीथारा हिंदू घरों के सामने बना एक पवित्र स्थान होता है, जिसमें तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है. आरोप है कि अब्दुल हकीम ने अपने निजी अंगों के बाल निकालकर तुलसीथारा में रख दिए, जिससे हिंदू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं.
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यह मामला तब हाई कोर्ट पहुंचा, जब अलप्पुझा के रहने वाले 32 वर्षीय श्रीराज आर ए ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया और उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. श्रीराज ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को साझा किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ.
कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल
हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि अब्दुल हकीम के खिलाफ कोई केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. जस्टिस पी वी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने कहा, "तुलसीथारा हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थान है. वीडियो में अब्दुल हकीम को यह अपमानजनक कार्य करते हुए देखा जा सकता है. यह निस्संदेह हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है, फिर भी उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया?"
मानसिक स्थिति पर भी उठे सवाल
अब्दुल हकीम की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि वह गुरुवायूर मंदिर के पास एक होटल का मालिक है. उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस भी है. यदि वह वास्तव में मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उसे होटल चलाने और वाहन चलाने की अनुमति कैसे मिली?
कोर्ट का फैसला: श्रीराज को जमानत, हकीम पर हो कार्रवाई
श्रीराज ने कोर्ट में तर्क दिया कि उन्होंने सिर्फ सोशल मीडिया पर पहले से उपलब्ध वीडियो साझा किया था और असली आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. हाई कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर करते हुए पुलिस को आदेश दिया कि अब्दुल हकीम के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए.