बेंगलुरु: देश में 3 मई के बाद लॉकडाउन (lockdown) बढ़ाने के साथ ही भारत सरकार ने अलग- अलग राज्यों में फंसे श्रमिक मजदूरों को उनके गांव जाने को लेकर इजाजत दे दी है. सरकार के द्वारा इजाजत मिलने के बाद बड़े पैमाने पर मजदूर अपने घर को जा रहे हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) के इस संकट के बीच कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिया कि प्रवासी मजदूरों से बातचीत कर समझाए कि वे अपने गांव को ना जाए. बिल्डर द्वारा उन्हें उनके जरूरत के हिसाब से रहने की व्यवस्था और काम दिया जाएगा.
दरअसल देश में 24 मार्च से लागू लॉकडाउन के बाद से ही बड़े पैमाने पर दूसरे अन्य राज्यों के साथ ही कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर मजदूर फंसे हुए हैं. अब क्योंकि अब अक उन्हें लग रहा था कि मोदी सरकार 3 मई के बाद लाऊडाउन को खत्म करेगें. लेकिन देश में कोरोना वायरस के मामले कम होते ना देख सरकार ने लॉकडाउन को 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया. इस बीच मजदूरों के लिए भारत सरकार की तरफ से विशेष ट्रेन चलाए जाने के बाद छोटा बड़ा काम करने वाला हर मजदूर अपने घर को जाने के लिए जहां पर रहा है वहां से स्टेशन या फिर दूसरे साधन से अपने घर के लिए निकल रहा है. यह भी पढ़े: कर्नाटक में कोरोना से 2 और मरीजों की हुई मौत, 9 नए मामलों के साथ कुल संक्रमितों की संख्या पहुंची 598
Directions given to ministers to convince workers to not return to their native states. Builders will provide workers with necessary facilities as construction activities will resume. They should not pay heed to rumours& avoid unnecessary travel: Karnataka CM BS Yediyurappa https://t.co/LVLNFPlDd6
— ANI (@ANI) May 5, 2020
बता दें कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आइटी और आइटी से जुड़ी जुड़ी सेवाओं को छोड़ दिया जाए तो करीब आठ लाख प्रवासी मजदूर यहां रहते हैं जिन पर यहां की अर्थव्यवस्था निर्भर है. ठेकेदारों, बिल्डरों, ट्रेड यूनियन और कार्यकर्ताओं का कहना है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत मजदूर अपने गांवों को लौट जाएंगे और इसका असर शहर की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.