जम्मू-कश्मीर: अलगाववादी नेता यासीन मलिक की बढ़ सकती है मुश्किलें, 3 दशक पुराने मामलों में चल सकता है मुकदमा
यासीन मलिक (Photo Credit- Twitter)

श्रीनगर: वर्तमान में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और अलगाववादी नेता यासीन मलिक ( Yasin Malik) पर अगले हफ्ते से करीबन तीन दशक पुराने मामलों में टाडा की विशेष अदालत में मुकदमा चलया जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या और तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण मामले को लेकर मलिक पर अब मुकदमा चलाए जाने का रास्ता पूरी तरह से साफ है. जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट की एक पीठ ने 26 अप्रैल को हाईकोर्ट की एकल पीठ के 2008 को दिए आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें इन दोनों मामलों की सुनवाई को श्रीनगर हस्तांतरित कर दिया गया था. सूत्रों ने कहा है कि जम्मू की टाडा कोर्ट ने हाल ही में मलिक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है और पुलिस को निर्देश दिया है कि वह उसे अदालत के सामने 11 सितंबर को पेश करे.

इस साल अप्रैल महीने में न्यायमूर्ति संजय कुमार गुप्ता ने 27 पन्नों के अपने फैसले में 1995 के हाईकोर्ट की एकल पीठ के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें मलिक के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी. इसके अलावा न्यायमूर्ति ने जम्मू की टाडा अदालत के उस फैसले को भी गलत माना, जिसमें मलिक की याचिका पर सुनवाई श्रीनगर स्थानांतरित कर दिया गया था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मलिक को आतंक और अलगाववादी संगठनों के वित्तपोषण के मामले में गिरफ्तार किया था। तब से वह तिहाड़ में बंद है. यह भी पढ़े: अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दिल्ली के तिहाड़ जेल लाया गया, NIA करेगी पूछताछ

श्रीनगर शहर के बहारी इलाके में 25 जनवरी, 1990 को चार भारतीय वायुसेना के अधिकारियों की हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा 1989 में केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण कर लिया गया था। जम्मू की टाडा अदालत में इन दोनों ही मामलों में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने 1990 के अगस्त और सितंबर महीने में मलिक के खिलाफ दो चार्जशीट दाखिल की थी. जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 1995 में मलिक के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी थी, क्योंकि श्रीनगर में कोई टाडा अदालत नहीं थी.