जमशेदपुर: झारखंड (Jharkhand) राज्य-पंजीकृत एक एनजीओ (NGO) द्वारा संचालित आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना की जांच का आदेश दे दिया गया है. आश्रयगृह से 40 नाबालिग बच्चों को दूसरे आश्रयगृह में भेज दिया गया है. दो नाबालिग लड़कियों द्वारा यौन शोषण एवं उत्पीड़न की प्राथमिकी दर्ज करायी गई. Jharkhand: 5 साल की उम्र में परिवार से बिछड़ गया था दुमका का युवक, वीडियो कॉल पर पहचाना अपना गांव, 13 साल बाद पहुंचा अपने घर
बता दें कि जिला समाज कल्याण अधिकारी ने सभी 24 अल्पवयस्क लड़कियों एवं 16 लड़कों को जिले के दूसरे आश्रय गृह बाल कल्याण आश्रम में स्थानांतरित कर दिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. इस जांच का आदेश आश्रय गृह की दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों की शिकायतों पर दर्ज की गई प्राथमिकी के मद्देनजर दिया गया है. इस प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि उनका लगभग चार साल से यौन उत्पीड़न किया जा रहा था और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था.
जमशेदपुर के उपायुक्त सूरज कुमार ने बताया कि उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया है. जिसमें पुलिस, प्रशासन एवं सभी संबद्ध विभागों के अधिकारी शामिल हैं लेकिन बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए आज शाम उन्हें बाल कल्याण आश्रम में स्थानांतरित कर दिया गया है.
सूरज कुमार ने बताया कि जांच के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से इस महिला आश्रयगृह के 40 अल्पवयस्क बच्चों को दूसरे आश्रय गृह में सुरक्षापूर्वक भेज दिया गया है. जमशेदपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एम तमिलवानन ने बताया कि दोनों नाबालिगों ने संचालक समेत अन्य पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं जिसकी जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा कि जमशेदपुर के टेल्को थानाक्षेत्र के ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट’ के संचालक हरपाल सिंह थापर, जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की, वार्डेन गीता देवी, उसके पुत्र आदित्य सिंह, टोनी डेविड समेत अन्य के खिलाफ उनके द्वारा संचालित महिला आश्रय गृह की दो नाबालिग लड़कियों ने उत्पीड़न और यौन शोषण की प्राथमिकी दर्ज कराई है.