रांची, 10 जुलाई : झारखंड में तकरीबन ढाई साल पुरानी झामुमो-कांग्रेस-राजद की गठबंधन सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के लिए आने वाले दिन चुनौतियों से भरे हैं. सत्ता-शासन और सियासत के आंतरिक एवं बाहरी मोर्चे की चुनौतियां तो अपनी जगह हैं, लेकिन उन्हें कानूनी मोर्चे पर सबसे ज्यादा मुश्किल लड़ाइयां लड़नी पड़ रही हैं.
अदालतों से लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग तक चल रहे मामलों में जवाब देने और अपना पक्ष रखने के लिए उन्हें दिग्गज वकीलों और कानूनविदों की मदद लेनी पड़ रही है. ईडी ने पिछले तीन महीनों के दौरान कुछ ऐसे लोगों को अपनी जांच के रडार पर लिया है, जो सोरेन के करीबी माने जाते रहे हैं. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट माइनिंग लीज के आवंटन में गड़बड़ी के साथ-साथ शेल कंपनियों में मुख्यमंत्री के करीबियों द्वारा निवेश के आरोपों की सीबीआई जांच के लिए दो पीआईएल दायर की गई, जिनपर अदालत के आने वाले फैसले भी राज्य में नई हलचल पैदा कर सकते हैं. यह भी पढ़ें : शिंदे दिल्ली से ‘गुरुमंत्र’ लेकर महाराष्ट्र लौटे, हिंदुत्व, , मराठा आरक्षण व विकास के सहारे उद्धव को देंगे मात
बीते शुक्रवार को ईडी ने हेमंत सोरेन के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बरहेट स्थित उनके प्रतिनिधि पंकज मिश्र समेत 14 कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारे. पंकज मिश्र उस वक्त साहिबगंज स्थित अपने आवास पर नहीं थे. ईडी ने उन्हें उत्तराखंड में ट्रैप किया और उनसे करीब पांच घंटे तक पूछताछ की. ईडी ने ये छापेमारी साहिबगंज में टेंडर से जुड़े एक मामले और राज्य में खनन के वैध-अवैध कारोबार में बड़े पैमाने पर मनीलांड्रिंग की जांच के सिलसिले में की.
छापेमारी में ईडी की 48 टीमों में 116 अफसर लगाए गए थे. इस दौरान पत्थर कारोबारी हीरा भगत के यहां तीन करोड़ नगद और अन्य लोगों के ठिकानों से निवेश और खनन से जुड़े कई कागजात जब्त किए गए हैं. जिन लोगों के यहां छापे पड़े, उनके संबंध पंकज मिश्र से हैं. पंकज मिश्र न सिर्फ सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि हैं, बल्कि उनकी गिनती सीएम से बेहद करीबियों में होती है.
इसके पहले मई-जून में ईडी ने राज्य की खनन एवं उद्योग सचिव आईएएस पूजा सिंघल और उनके करीबियों के 20 ठिकानों पर एक साथ छापामारी की थी. उनके सीए रहे सुमन कुमार सिंह के आवास से लगभग 19 करोड़ रुपये नगद बरामद किए गए थे. सिंघल को मनी लांड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार भी कर लिया गया था. वह अब भी जेल में ही हैं. इसी मामले में साहिबगंज दुमका पलामू चाईबासा सहित कई जिलों के खनन पदाधिकारियों से भी ईडी ने पूछताछ की थी.
बाद में राज्य में सत्ता के गलियारों में ऊंची पहुंच रखने वाले प्रेम प्रकाश निशीथ केसरी और बिल्डर विशाल चौधरी के ठिकानों पर भी ईडी ने छापामारी कर कई दस्तावेज बरामद किए थे. इनमें निशीथ केसरी सीनियर आईएएस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का का बहनोई है. जाहिर है, ईडी की इन कार्रवाइयों की आंच देर-सबेर सत्ता प्रतिष्ठान तक पहुंचेगी और इससे आखिरकार हेमंत सोरेन के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती है.
हेमंत सोरेन की सबसे ज्यादा उलझनें कानूनी मसलों को लेकर है. शिवशंकर शर्मा नामक एक व्यक्ति ने झारखंड हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की हैं. इनमें एक मामला सीधे तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत से संबंधित है. पीआईएल में आरोप लगाया गया है कि हेमंत सोरेन ने सीएम और खान विभाग के मंत्री पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में एक पत्थर खदान की लीज अपने नाम पर आवंटित करा ली. इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए उन्हें विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार देने की मांग की गई है.
दूसरी पीआईएल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और और उनके भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में अवैध निवेश का आरोप लगाते हुए इनकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन दोनों पीआईएल को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए झारखंड हाईकोर्ट में इनकी सुनवाई रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली और हाईकोर्ट को सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया गया.
झारखंड हाईकोर्ट में कई तारीखों में इन पर सुनवाई हुई है. हेमंत सोरेन की सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं अन्य को हायर कर रखा है. अब अगली सुनवाई 29 जुलाई को होनी है. इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पांच दिन पहले झारखंड हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने वाले शिव शंकर शर्मा के खिलाफ झूठे साक्ष्य पेश करने का आरोप लगाते हुए एक पिटीशन दायर किया है.
इसमें उन्होंने कहा है कि शिवशंकर शर्मा की ओर से दायर याचिकाओं के जरिये उनकी छवि को बदनाम करने की कोशिश की गई है. जाहिर है, इन याचिकाओं पर आने वाले फैसले तय करेंगे कि सोरेन के लिए आगे की डगर कितनी मुश्किल या आसान होगी. हेमंत सोरेन के नाम पर पत्थर खदान की जो लीज आवंटित हुई थी, वह उन्होंने सरेंडर कर दिया है, लेकिन इस मामले को लेकर भाजपा ने राज्यपाल से लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग तक शिकायत दर्ज कराई है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने इसपर सोरेन को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था. उनके जवाब पर आयोग में सुनवाई का सिलसिला जारी है.
आखिरी सुनवाई बीते 28 जून को हुई थी, जिसमें भाजपा की ओर से अधिवक्ताओं ने दलीलें पेश करते हुए हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. आयोग ने अगली सुनवाई 14 जुलाई को मुकर्रर की है. उस दिन हेमंत सोरेन की ओर से उनके अधिवक्ता जिरह करेंगे. इस मामले में आयोग का जो भी फैसला आएगा, उससे राज्य की भावी राजनीति गहरे तौर पर प्रभावित होगी.